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विस्फोटकों का तुरंत पता लगा लेगा यह सेंसर, ऐसे विकसित हुई तकनीक

हमें फॉलो करें विस्फोटकों का तुरंत पता लगा लेगा यह सेंसर, ऐसे विकसित हुई तकनीक
, गुरुवार, 30 सितम्बर 2021 (12:16 IST)
नई दिल्ली, भारतीय वैज्ञानिकों को पहली बार तापीय रूप से स्थिर इलेक्ट्रॉनिक पॉलिमर-आधारित सेंसर विकसित करने में सफलता मिली है। यह सेंसर उच्च ऊर्जा वाले विस्फोटकों में इस्तेमाल होने वाले नाइट्रो-एरॉमेटिक रसायनों की पहचान करने में सक्षम है। साथ ही यह सेंसर काफी किफायती भी है।

सुरक्षा, आपराधिक जांच, खनन गतिविधियों, सैन्य अनुप्रयोगों में विस्फोटकों का ध्वंस किए बिना उनकी पहचान करने में ऐसे सेंसर बहुत उपयोगी भूमिका निभाते हैं।

विस्फोटक पॉली-नाइट्रोएरॉमेटिक यौगिकों का विश्लेषण हालांकि आमतौर पर परिष्कृत वाह्य तकनीकों द्वारा भी किया जा सकता है। लेकिन अपराध विज्ञान प्रयोगशालाओं या सैन्य अभियानों में त्वरित निर्णय लेने या चरमपंथियों के पास मौजूद विस्फोटकों का पता लगाने के लिए अक्सर द्रुत और सरल, तकनीकों की आवश्यकता होती है जो विस्फोटकों को नष्ट किये बिना उनकी मौजूदगी का पता लगा सकें। रसायन आधारित सेंसर्स इस में कहीं सक्षम हो सकते हैं।

लेकिन बिना-विध्वंस नाइट्रोएरॉमेटिक रसायनों की उपस्थिति का पता लगाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।  इस दिशा में अतीत में किए गए अध्ययन मुख्य रूप से फोटो-ल्युमिनेसेंट विशिष्टताओं पर आधारित रहे, लेकिन अभी तक उनकी संचालन प्रकृति के आधार पर पड़ताल संभव नहीं हो सकी थी।

इसी उद्देश्य से इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी, गुवाहाटी के डॉ नीलोत्पन सेन सरमा के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की एक टीम ने एक परतदार पॉलीमर डिटेक्टर विकसित किया है। डिटेक्टर में दो कार्बनिक पॉलिमरों-आर्किलोनाइट्राइल के साथ पॉली 2-वाइनिल पाइरिडिन और हेक्सीन के साथ कॉलेस्ट्रॉल मेटाक्राइलेट के कोपोलाइसुलफोन का उपयोग किया गया है जिसके एसी सर्किट के प्रतिरोध में, नाइट्रोएरॉमेटिक यौगिकों की उपस्थिति की स्थिति में परिवर्तन स्पष्ट दिखाई देने लगता है।

सेंसर डिवाइस में तीन परतें शामिल हैं। इनमें 1-हेक्सिन (PCHMASH) के साथ कोलेस्टेरिल मेथैक्रिलेट के पॉलिमर कोपॉलीसल्फ़ोन औरएक्रिलोनिट्राइल के साथ पॉली-2-विनाइल पाइरीडीन के कोपॉलीमर को स्टेनलेस स्टील द्वारा दोबाहरी परतों के बीच PCHMASHको जोड़ कर तैयार किया जाता है। सिस्टम की संवेदनशीलता विश्लेषक के वाष्प (पिक्रिक एसिड) की उपस्थिति में समयके साथ प्रतिबाधा प्रतिक्रिया में परिवर्तन की निगरानी के द्वारा निर्धारित की जाती है।

यह सेंसर डिवाइस प्रकृति में काफी सरल और प्रतिवर्ती है और अन्य सामान्य रसायनों और आर्द्रता की उपस्थिति में अलग-अलग परिचालन तापमान के साथ इसकी प्रतिक्रिया में कोई परिवर्तन नहीं होता है।

इस डिवाइस को कमरे के तापमान पर संचालित किया जा सकता है। इसमें प्रतिक्रिया समय कम होने के साथ ही अन्य रसायनों का नाममात्र हस्तक्षेप होता है। इसका निर्माण बहुत ही सरल है। साथ ही आर्द्रता से भी यह नगण्य रूप से प्रभावित होता है। इसमें उपयोग किए जाने वाले कोलेस्ट्रॉल-आधारित पॉलिमर बायोडिग्रेडेबल होते हैं।
डॉ नीलोत्पल सेन सरमा के अनुसार- 'एक पॉलिमर गैस सेंसर से बनी इलेक्ट्रॉनिक सेंसिंग डिवाइस किसी भी स्थान पर विस्फोटक का तुरंत पता लगा सकती है।'

इस शोध को भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से वित्तीय सहायता प्राप्त हुई है। शोधकर्ताओं ने इसके पेटेंट के लिए आवेदन भी किया है। (इंडिया साइंस वायर)

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