नई दिल्ली। निर्भया मामले में पटियाला हाउस कोर्ट ने चारों दोषियों को फांसी की सजा पर एक बार फिर रोक लगा दी। फांसी के लिए अदालत फिर एक नया डेथ वारंट जारी करेगी और आरोपियों को कम से कम 15 दिन का समय मिल जाएगा।
निर्भया के चारों दोषियों पवन गुप्ता, अक्षय ठाकुर, मुकेश सिंह और विनय शर्मा ने अपने सभी कानूनी विकल्प सोमवार तक पूरी तरह आजमा लिए हैं। अत: यह निर्भया मामले में आखिरी वारंट होगा और दोषियों के पास फांसी से बचने का अब कोई मौका नहीं होगा।
उल्लेखनीय है कि निर्भया मामले में दोषियों के खिलाफ 3 बार डेथ वारंट जारी किया जा चुका है। हर बार वकील एपी सिंह की मदद से निर्भया के गुनहगार अपनी तिकड़मों से फांसी टलवाने में सफल रहे।
क्या होता है डेथ वारंट : दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) का फॉर्म नंबर 42 दोषी को फांसी की सजा का अनिवार्य आदेश है। इसे डेथ वारंट या ब्लैक वारंट कहा जाता है। इसे 'वारंट ऑफ एक्जीक्यूशन ऑफ ए सेंटेंस ऑफ डेथ' भी कहा जाता है। किसी भी अपराधी को जिसे अदालत ने मृत्युदंड दिया है, फांसी से पहले अदालत डेथ वारंट जारी करती है। इस वारंट के बिना किसी भी कैदी को फांसी की सजा नहीं दी जा सकती।
कब जारी होता है डेथ वारंट : डेथ वारंट फांसी की सजा से 2 हफ्ते पहले जारी किया जाता है। डेथ वारंट जारी करने से पहले जज दोषी या उसके वकील से बात करता है। दोषी को बता दिया जाता है कि उसे फांसी की सजा कब दी जाएगी। इससे वह व्यक्ति जिसे फांसी की सजा दी जा रही है, खुद से मानसिक रूप से इसके लिए तैयार कर लेता है।