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पीएम मोदी प्रयागराज में, संगम तट पर अक्षय वट वृक्ष स्‍थल व हनुमान मंदिर में की पूजा

5,500 करोड़ रुपए की प्रमुख विकास परियोजनाओं की शुरुआत भी की

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

प्रयागराज (यूपी) , शुक्रवार, 13 दिसंबर 2024 (14:47 IST)
Modi in Prayagraj: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) शुक्रवार को उत्तरप्रदेश के प्रयागराज पहुंचे और संगम तट पर पूजा-अर्चना की। प्रधानमंत्री ने 2025 के महाकुंभ के लिए सुविधाओं में सुधार और शहर के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के उद्देश्य से 5,500 करोड़ रुपए की प्रमुख विकास परियोजनाओं की शुरुआत करने से पहले संगम (Sangam) तट पर पूजा-अर्चना की।ALSO READ: प्रयागराज में कुंभ कलश की स्थापना करेंगे पीएम मोदी, देंगे इन परियोजनाओं की सौगात
 
प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर एक औपचारिक पूजा और दर्शन के साथ शुरू हुई। पूजा से पहले मोदी ने नदी में नौका विहार का आनंद लिया। पूजा के अवसर पर प्रधानमंत्री के साथ उत्तरप्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उपस्थित थे। हर 12 साल में आयोजित होने वाला महाकुंभ अगले वर्ष प्रयागराज में 13 जनवरी (पौष पूर्णिमा) से 26 फरवरी (महाशिवरात्रि) तक आयोजित किया जाएगा।ALSO READ: महाकुंभ मेला 2025: क्यों 12 साल बाद लगता है महाकुंभ, कैसे तय होती है कुंभ की तिथि?
 
मोदी ने की अक्षय वट वृक्ष स्‍थल पर पूजा : प्रधानमंत्री ने अक्षय वट वृक्ष स्‍थल पर पूजा की। प्रधानमंत्री उसके बाद हनुमान मंदिर गए। उन्होंने वहां और फिर सरस्वती कूप में दर्शन और पूजा की। इसके बाद उन्होंने महाकुंभ प्रदर्शनी स्थल का भ्रमण किया और वहां मौजूद अधिकारियों से उसके बारे में जानकारी ली।
 
महाकुंभ मेला अनुष्ठानों का एक भव्य आयोजन :  'राम नाम बैंक' के संयोजक प्रयागराज के आशुतोष वार्ष्णेय के अनुसार महाकुंभ मेला अनुष्ठानों का एक भव्य आयोजन है। त्रिवेणी संगम पर लाखों तीर्थयात्री इस पवित्र अनुष्ठान में भाग लेने के लिए एकत्रित होते हैं।ALSO READ: प्रयागराज में डिजिटल होगा महाकुंभ मेला, Google ने MOU पर किए हस्‍ताक्षर
 
उन्होंने कहा कि ऐसी मान्यता है कि पवित्र जल में डुबकी लगाने से व्यक्ति अपने सभी पापों से मुक्त हो जाता है, खुद को और अपने पूर्वजों को पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त कर अंतत: मोक्ष या आध्यात्मिक मुक्ति प्राप्त कर सकता है। वार्ष्णेय ने कहा कि स्नान अनुष्ठान के अलावा तीर्थयात्री पवित्र नदी के तट पर पूजा भी करते हैं और विभिन्न साधुओं और संतों के नेतृत्व में ज्ञानवर्धक प्रवचनों में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta

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