संविधान के अनुच्छेद 35-A को जम्मू कश्मीर से हटाने लेकर दिल्ली के सियासी गलियारों से लेकर कश्मीर घाटी तक चर्चा जोरों पर है। अमरनाथ यात्रा को बीच में रोक देने और पर्यटकों को जल्द से जल्द कश्मीर छोड़ने की प्रदेश सरकार की एडवाइजरी के बाद इस बात की अफवाह जोरों पर है कि 15 अगस्त से पहले मोदी सरकार जम्मू कश्मीर के बारे में कोई बड़ा निर्णय ले सकती है।
पिछले दिनों जब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने घाटी में दस हजार से अधिक सुरक्षा बलों की तैनाती का फैसला लिया था उसके बाद लगातार जम्मू कश्मीर में कानून व्यवस्था को लेकर हो रहे निर्णयों ने अफवाहों के बाजार को और गर्म कर दिया है।
चर्चा इस बात की जोर-शोर से है कि केंद्र सरकार सरकार जम्मू कश्मीर को संविधान के अनुच्छेद 35-A के तहत मिले विशेष दर्जे को खत्म करने जा रही है। ऐसे में हर किसी के मन में सवाल यह उठ रहा है कि क्या मोदी सरकार जम्मू कश्मीर के बारे में संविधान के इस विशेष उपबंध को इतनी आसानी से हटा सकती है। वेबदुनिया ने देश के प्रमुख संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप से इस पूरे मामले को लेकर विशेष बातचीत की।
जम्मू कश्मीर के बारे में धारा 35-A हटाने के सवाल पर सुभाष कश्यप कहते हैं कि 1954 में राष्ट्रपति के आदेश के तहत जम्मू कश्मीर में संविधान के अनुच्छेद 35-A को लागू किया गया था इसलिए कानूनी और संवैधानिक नजरिए से इसे अब राष्ट्रपति के आदेश से ही हटाया जा सकता है, केवल शर्त इस बात की है कि इसके लिए जम्मू कश्मीर सरकार की सहमति होनी चाहिए।
वह आगे कहते हैं कि इस वक्त जम्मू कश्मीर में चूंकि राज्यपाल शासन है इसलिए केंद्र सरकार राज्यपाल की सहमति से अनुच्छेद 35-A को हटा सकती है। वेबदुनिया से बातचीत में सुभाष कश्यप कहते हैं कि 35-A को हटाने को लेकर संवैधानिक तौर पर कोई दिक्कत नहीं है लेकिन इसको हटाया जाना चाहिए या नहीं या कब हटाया जाना चाहिए यह एक राजनितिक और नीतिगत निर्णय है। सुभाष कश्यप कहते हैं कि अभी केवल 35-A को हटाने को लेकर केवल अफवाह है जब सरकार इस पर कोई निर्णय लेगी फिर उसको संवैधानिक नजरिए से देखा जाएगा।
वहीं वेबदुनिया से बातचीत में संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप साफ करते हैं कि जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने के लिए सरकार को संविधान संशोधन लाना पड़ेगा और वह भी जम्मू कश्मीर विधानसभा की सहमति के बाद। ऐसे में अभी जब जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन तो इसे करना इतना आसान नहीं होगा।
इस समय जम्मू कश्मीर में सियासी हलचल तेज है। शुक्रवार देर शाम राजनीतिक पार्टियों का एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल सत्यपाल मलिक से मिलकर घाटी की वर्तमान स्थिति के बारे में चर्चा की। मुलाकात के बाद राजभवन से जारी बयान में कहा गया है कि राज्यपाल ने प्रतिनिधि मंडल को बताया कि अमरनाथ यात्रा बीच में ही खत्म करने का निर्णय आतंकी हमले के पुख्ता सूचना के बाद लिया गया है। इस कदम को अन्य किसी कदम से जोड़ना गलत है।