प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय राजनीति को परिवारवाद के संक्रमण से मुक्त कराने के लिए एक बड़ा दांव चल दिया है। पिछले दिनों जयपुर में भाजपा के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि परिवारवादी पार्टियां देश को पीछे ले जाने पर तुली हुई हैं और भाजपा को इन परिवारवादी पार्टियों से निरंतर मुकाबला करना है। अगर लोकतंत्र बचाना है, लोकतंत्र को सामर्थ्यवान और मूल्यनिष्ठ बनाना है, तो हमें वंशवाद, परिवारवाद की राजनीति के खिलाफ अविरत संघर्ष करना ही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परिवारवाद की राजनीति को देश के लिए बड़ा खतरा बताते है। वह कहते हैं कि परिवारवाद लोकतंत्र का सबसे बड़ा शत्रु है। इससे राजनीति में सक्रिय प्रतिभाशाली लोगों को कठिनाई आती है और गंभीर समझौते करने पड़ते हैं।
अगर स्वतंत्र भारत के राजनीतिक इतिहास को देखा जाए तो परिवारवाद देश की राजनीति में हावी रहा है। आज देश की राजनीति में एक व्यक्ति और परिवार पर केंद्रित पार्टियों की भरमार है। राजनीति में भाई-भतीजावाद के चलते परिवारवाद को बढ़ाने वाली पर्टियां असल में एक परिवार की प्रापर्टी होती हैं। परिवार से ही आने वाले व्यक्ति ही पार्टी का आजीवन राष्ट्रीय अध्यक्ष होते हैं। ऐसे दल असल में लोकतंत्र के लिए खतरा हैं।
पिछले दिनों भोपाल में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने परिवारवाद के मायने को समझाते हुए कहा कि पिता अध्यक्ष, बेटा जनरल सेक्रेटरी, संसदीय बोर्ड में चाचा-ताउ यह राजनीतिक परिवारवाद है। उन्होंने जम्मू कश्मीर में पीडीपी, हरियाणा में लोकदल, पंजाब में शिरोमणि अकाली दल, उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी, बिहार में राष्ट्रीय जनता दल, पश्चिम बंगाल में टीएमसी, डीएमके, शिवसेना, एनसीपी, जेएमएम परिवारवाद का उदाहरण बताया।
वरिष्ठ पत्रकार वेदप्रताप वैदिक कहते हैं कि राजनीति में परिवारवाद से सारा देश तंज है। जितनी भी क्षेत्रिएं पार्टियां है उसके एक-दो को छोड़ दें तो सभी परिवारवाद में ही विश्वास करती है। कांग्रेस सहित लगभग सभी क्षेत्रीय पार्टियां प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों की तरह है और यह पर्टियां मां-बेटा, भाई-बहन, चाचा-भतीजा,बुआ-भतीजा तक सीमित है। ऐसे में आज परिवारवाद देश के लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।
UP चुनाव में BJP ने परिवारवाद को नकारा-पिछले दिनों पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने ऐसे कई नेता-पुत्रों को टिकट नहीं दिया था जो परिवारवाद से ताल्लुक रखते थे। विधानसभा चुनाव की जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी सांसदों को सीधा संदेश देते हुए कहा था अगर किसी का टिकट काटा गया तो यह मेरी जिम्मेदारी है। सांसदों के बच्चों को टिकट न देना अगर पाप है तो मैंने पाप किया है। भाजपा में पारिवारिक राजनीति की अनुमति नहीं है।
भाई-भतीजावाद पर भाजपा की गाइडलाइन-परिवारवाद पर प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी के मुखर होने के बाद भाजपा ने अब परिवारवाद को लेकर एक स्पष्ट नीति बना ली है जिसका खुलासा खुद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भोपाल में मीडिया के सामने किया। उन्होंने कहा कि पार्टी परिवारवाद को बढ़ावा नहीं देगी, चाहे चुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पड़े। उन्होंने कहा कि भाजपा ने देश की राजनीति में परिवारवाद की संस्कृति के खिलाफ आवाज उठाई है और हमारी कोशिश है कि पिता के बाद बेटा न आ जाए, इसको रोका जाए। परिवारवाद पर बोलते हुए जेपी नड्डा ने कहा कि पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र का बरकरार रखना है और इसलिए पार्टी में परिवारवाद की कोई जगह नहीं है। उन्होंने साफ कहा कि कल को कौन कार्यकर्ता आएगा अगर सब परिवार को चलाना है।
मध्यप्रदेश में लागू हुई गाइडलाइन- मध्यप्रदेश में 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी का रोडमैप तय करने आए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने साफ कहा कि उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में परिवार से आने वालों को टिकट नहीं दिए और यहीं नीति मध्यप्रदेश में भी विधानसभा चुनाव और निकाय चुनाव दोनों में लागू होगी। नड्डा ने साफ कहा मध्यप्रदेश में पिछले दिनों उपचुनाव और हिमाचल प्रदेश में चुनाव के दौरान पार्टी को हार का सामना करना पड़ा लेकिन परिवारवाद को किनारा रखा गया। नेता पुत्रों के राजनीति में सक्रिय होने पर सवाल पर जेपी नड्डा ने कहा कि वह पार्टी के लिए काम करें अच्छी बात है लेकिन जहां तक प्रतिनिधित्व की बात है तो पार्टी कार्यकर्ता को ही आगे बढ़ाएगी।
प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी के परिवारवाद पर तगड़े प्रहार से भाजपा का युवा और जमीनी कार्यकर्ता काफी खुश नजर आ रहे है। मध्यप्रदेश भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष वैभव पंवार कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी वह राजनीतिक दल है जिसने वंशवाद के बेड़ियों से भारत की राजनीति को मुक्त किया। भारतीय जनता पार्टी एकमात्र ऐसी पार्टी है जिममें बूथ का अध्यक्ष भी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनता है।
वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र सिंह कहते हैं कि राजनीति में परिवारवाद पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सीधा प्रहार एक मास्टर स्ट्रोक है और यह भारतीय राजनीति की दिशा को बदलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परिवारवाद पर एक नई लाइन लेने से भाजपा के अंदर कार्यकर्ताओं का महत्व बढ़ेगा। भारतीय राजनीति में परिवारवाद और वंशवाद का जो दौर चल रहा है वह धीमा पड़ेगा। अब अन्य दल परिवारवाद से आने वाले लोगों को टिकट देने में थोड़ा सा परहेज करेगी।
राजनीतिक विश्लेषक राघवेंद्र सिंह कहते हैं कि देश के अन्य सियासी दल चाहे वह कांग्रेस हो या समाजवादी पार्टी या अन्य जो परिवार के सहारे चल रही है और परिवार को ही आगे बढ़ा रही है उस पर एक नैतिक दबाव बनेगा। भाजपा के एक बड़ी राजनीतिक पार्टी है और उसके निर्णय का असर दूरगामी होगा। अब यह देखना होगा कि जनता इसको किस तरह से स्वीकार करती है। अगर जनता ने इसे हाथों-हाथ लिया तो दूसरी पार्टी पर भी दबाव बनेगा कि वह परिवारवाद को पीछे करे।