Kharge can be PM face: इंडिया (I.N.D.I.A) गठबंधन आने वाले लोकसभा चुनाव में दलित दांव खेल सकता है। गठबंधन की दिल्ली में आयोजित चौथी बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी प्रधानमंत्री पद के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का नाम आगे बढ़ाया है। हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन यदि ऐसा होता है तो गठबंधन दलित चेहरे के रूप में आगामी चुनाव में उन्हें भुना सकता है। खरगे ने कहा है कि पहले हमारा जोर चुनाव जीतने पर होगा। प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार का फैसला जीतने के बाद भी किया जा सकता है।
यदि ऐसा होता है तो आगामी चुनाव मोदी बनाम खरगे हो सकता है। दरअसल, खरगे के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस ने दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक में भाजपा से सत्ता छीनी, जबकि तेलंगाना में भी पहली बार सरकार बनाई। चूंकि खरगे दक्षिण भारत से ही आते हैं, ऐसे में यदि उनका नाम प्रधानमंत्री पद के लिए आगे बढ़ाया जाता है तो न सिर्फ कांग्रेस बल्कि गठबंधन को भी फायदा मिल सकता है।
क्या कहा खरगे ने : हालांकि खरगे ने कहा है कि गठबंधन का जोर पहले चुनाव जीतने पर होगा, इसके बाद प्रधानमंत्री पद का भी फैसला कर लिया जाएगा। सब मिलकर बहुमत लाएंगे। उन्होंने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वह लोकतंत्र खत्म करना चाहती है। हम निलंबन के खिलाफ लड़ेंगे। 22 दिसंबर को देशभर में इसके खिलाफ प्रदर्शन किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि मोदी को बड़ा नेता होने का घमंड है। वे संसद सत्र के दौरान भी घूमते हैं। गठबंधन को लेकर खरगे ने कहा कि 30 जनवरी से संयुक्त प्रचार अभियान चलाया जाएगा। 31 दिसंबर तक सीटों के बंटवारे का काम पूरा कर लिया जाएगा। गठबंधन की बैठक सीटों के बंटवारे पर तेजी से काम करने की बात कही गई।
कौन हैं खरगे : खरगे वर्तमान में कांग्रेस के अध्यक्ष हैं और दिवंगत जगजीवनराम के बाद वे कांग्रेस के दूसरे दलित अध्यक्ष हैं। 1971 में जगजीवन राम के पहले कांग्रेस अध्यक्ष बने थे। खरगे 9 बार विधायक रह चुके हैं। दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक से आने वाले खरगे बहुत अच्छी हिन्दी बोलते हैं और ज्यादातर हिन्दी में ही अपनी बात रखते हैं। 21 जुलाई 1942 को जन्मे खरगे राजनीति में आने से पहले वकालत के पेशे में थे।
81 साल के खरगे विगत 75 वर्षों से सक्रिय राजनीति में हैं। उन्हें गाधी-नेहरू परिवार का वफादार माना जाता है। कांग्रेस में शामिल होने से पहले खरगे बाबा साहेब अम्बेडकर से प्रेरित होकर रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) में शामिल हुए थे। खरगे छात्र जीवन से ही राजनीति में आ गए थे। गुलबर्ग में उन्हें छात्रसंघ महासचिव चुना गया। 1969 में खरगे एमएसके मिल्स कर्मचारी संघ के कानूनी सलाहकार भी बने।
Edited by: Vrijendra singh Jhala