Mahua Moitra news : तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा पर कारोबारी दर्शन हीरानंदानी के आरोपों पर देश की राजनीति गरमा गई। हीरानंदानी ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बदनाम करने के लिए उद्योगपति गौतम अडाणी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सवाल के बदले महुआ ने महंगे गिफ्ट लिए। महुआ ने सोशल नेटवर्किंग साइट एक्स पर इसका विस्तृत जवाब दिया है। मामला फिलहाल संसद की एथिक्स कमेटी के पास है।
उन्होंने एक्स पर 2 पेज का एक पत्र शेयर करते हुए लिखा कि दर्शन हीरानंदानी का हलफनामा देखकर कुछ प्रश्न उठते हैं, जिनका जवाब जानना जरूरी है।
महुआ ने कहा कि 3 दिन पहले हीरानंदानी समूह ने प्रेस रिलिज जारी कर सभी आरोपों को आधारहीन करार दिया था। एक हलफनामा जारी हुआ है जो सफेद कागज पर है, ना कि ऑफिसियल लेटर हेड पर।
उन्होंने कहा कि दर्शन को ना तो सीबीआई ने नोटिस दिया और ना ही एथिक्स कमेटी ने। उन्हें किसी जांच एजेंसी ने भी बुलावा नहीं भेजा। फिर उन्होंने किसे यह हलफनामा दिया।
टीएमसी सांसद ने कहा कि देश का एक सम्मानित और पढ़ा-लिखा कारोबारी-व्यवसायी, व्हाइट पेपर पर क्यों सिग्नेचर करेगा, जब तक कि ऐसा करने के लिए उसके सिर पर बंदूक नहीं रखी गई हो?
उन्होंने हलफनामे के कंटेट को मजाक बताते हुए कहा कि यह स्पष्ट रूप से पीएमओ के लोगों और उन लोगों के जरिए तैयार किया गया है जो कि बीजेपी की आइटी सेल के लिए क्रिएटिव राइटिंग करते हैं। यह मोदी और गौतम अडाणी के इशारे पर गाना गा रहे हैं। महुआ ने कहा कि उनके हर प्रतिद्वंद्वी का नाम मेरे साथ जोड़कर कथित भ्रष्टाचार का तानाबाना तैयार कर दिया है।
महुआ ने कहा कि पैराग्राफ 12 में दावा किया गया है कि दर्शन ने मेरी मांगें मान लीं, क्योंकि उसे डर था कि मैं नाराज न हो जाऊं। दर्शन और उनके पिता भारत के सबसे बड़े बिजनेसग्रुप के संचालक हैं। यूपी और गुजरात में उनकी हालिया परियोजनाओं का उद्घाटन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और प्रधान मंत्री द्वारा किया गया है। वे प्रधानमंत्री के साथ उनके व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल में विदेश गए थे। ऐसे धनी, सफल व्यवसायी जिसकी हर मंत्री और पीएमओ तक सीधी पहुंच है, उसे पहली बार के विपक्षी सांसद द्वारा उसे उपहार देने और उसकी मांगों को मानने के लिए क्यों मजबूर किया जाएगा?
दर्शन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों नहीं की। उसने खुद या उसकी कंपनी ने इसे ट्वीट क्यों नहीं किया। यदि वास्तव में उसने इसे कबूल कर लिया है तो वह इसे बैक चैनल लीक के माध्यम से जारी करने के बजाय आधिकारिक तौर पर जारी क्यों नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सच शीशे की तरह साफ है, यह भाजपा सरकार अडानी मुद्दे पर किसी तरह मेरा मुंह बंद कराने की बेसब्री से कोशिश कर रही है।
उन्होंने कहा कि जय द्रेहदाई कोई सुप्रीम कोर्ट के वकील नहीं है जिन्होंने मेरे ऊपर इतनी मेहनत से रिसर्च की है। उनके मेरे साथ पहले से कुछ पुराने कड़वे संबंध रहे हैं और इसलिए ये मेरे ऊपर किसी भी तरह से पलटवार करना चाहते हैं। उन्होंने पत्र में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे पर भी सवाल उठाए।