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जुर्म सहकर खामोश कैसे रहा जाता है ये कोई मुसलमान से सीखे

हमें फॉलो करें जुर्म सहकर खामोश कैसे रहा जाता है ये कोई मुसलमान से सीखे
, शनिवार, 28 मई 2022 (14:30 IST)
ज्ञानवापी विवाद के बाद देशभर में मंदिर-मस्‍जिद को लेकर चल रही बहस और विवाद के बाद अब जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख महमूद असद मदनी का भावुक भाषण इंटरेनेट में वायरल हो रहा है। भाषण देते हुए वे रोने लगे, रूमाल से अपनी आंखों के आंसू पोंछने लगे और इस दौरान जो बातें उन्‍होंने कहीं, उसकी चर्चा हो रही है।

दरअसल, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख महमूद असद मदनी उत्तर प्रदेश के देवबंद में चल रहे जमीयत उलेमा-ए-हिंद के जैसे को संबोधित करते हुए भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि बेइज्जत होकर खामोश हो जाना कोई मुसलमानों से सीखे।

हम तकलीफ बर्दाश्त कर लेंगे, लेकिन देश का नाम खराब नहीं होने देंगे। उन्होंने इस बीच ये भी कहा कि आग को आग से नहीं बुझाया जा सकता। नफरत को मिटाने के लिए प्रेम की जरूरत होती है।

बता दें कि उत्तर प्रदेश के देवबंद में आज शनिवार से जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने दो दिन का जलसा आयोजित किया है। इस जलसे में कई मुस्लिम संगठनों के लोग शिरकत करने के लिए देवबंद पहुंचे हैं।

जलसे में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख महमूद असद मदनी भावुक हो गए, वे रोने लगे। रूमाल से अपनी आंखों के आंसू पोंछते उनके भाषण और विजुअल्‍स की सोशल मीडिया से लेकर न्‍यूज चैनल तक में चर्चा हो रही है।  
दरअसल, ज्ञानवापी विवाद मामले के बाद आयोजित किए जा रहे इस जलसे में चर्चा के लिए 3 प्रस्ताव रखे गए थे, प्रस्ताव 1 -देश में बढ़ती नफरत पर विचार, प्रस्ताव 2- इस्लामोफोबिया की रोकथाम पर मंथन, प्रस्ताव 3- सदभावना मंच को मजबूत करना। बता दें इन तीनों प्रस्तावों को पास कर दिया गया है।

मुस्लिमों को झुकाना चाहता है फासीवादी : मदनी ने कहा कि देश में इस्लामोफोबिया फैलाया जा रहा है और मुस्लिम शासकों को बदनाम किया जा रहा है। इतना ही नहीं, छद्म राष्ट्रवाद के नाम पर एकता तोड़ी जा रही है।

मुसलमानों के लिए नर्क बना दिया : उन्‍होंने जमीयत की बैठक में यह बात कही। मदनी ने कहा कि सरकार अखंड भारत की बात करती है, लेकिन उसने देश को मुसलमानों के लिए नर्क बना दिया है। उन्होंने कहा कि देश में नफरत का बाजार सजाया जा रहा है और देश में इस्लामोफोबिया फैलाया जा रहा है। मदनी ने कहा कि सत्ता के संरक्षण में सांप्रदायिकता की काली आंधी चल रही है और फासीवादी संगठन मुस्लिमों को झुकाना चाहते हैं।

खामोशी क्‍या होती है मुसलमान से सीखें : मदनी ने कहा, चुप हो जाना, खामोश हो जाना क्‍या होता है ये बात कोई मुसलमान से सीखे। बेइज्जत होकर खामोश हो जाना कोई मुसलमानों से सीखे, हम तकलीफ बर्दाश्त कर लेंगे, लेकिन देश का नाम खराब नहीं होने देंगे। जुल्म बर्दाश्त कर लेना, बेइज्जत होना, गाली खाना कोई हमसे सीखे। सरकार सदियों पुराना भाईचारा बदलना चाहती है। सरकार को साझी विरासत का सम्मान नहीं है और सरकार को सामाजिक मूल्य की पहचान नहीं है। सरकार को बस अपनी सत्ता प्यारी है।

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