Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

कश्मीर में संविधान के अनुच्छेद 35-ए पर बवाल, अमरनाथ यात्रा स्थगित, जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित

हमें फॉलो करें कश्मीर में संविधान के अनुच्छेद 35-ए पर बवाल, अमरनाथ यात्रा स्थगित, जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित

सुरेश एस डुग्गर

, रविवार, 5 अगस्त 2018 (17:29 IST)
जम्मू। कश्मीर में अब संविधान के अनुच्छेद 35-ए को हथियार बना माहौल खराब करने का प्रयास आरंभ हुआ है। इसके खिलाफ 2 दिनी बंद के चलते अमरनाथ यात्रा स्थगित कर दी गई है। रेल सेवा भी बंद कर दी गई है जिस कारण जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। उच्चतम न्यायालय में अनुच्छेद 35-ए की वैधता को कानूनी चुनौती के खिलाफ अलगाववादियों के पूर्ण बंद के आह्वान के कारण रविवार को कश्मीर में जनजीवन पूरी तरह से प्रभावित हुआ है।
 
गौरतलब है कि अनुच्छेद 35-ए के तहत राज्य में जम्मू-कश्मीर के बाहर के किसी व्यक्ति के अचल संपत्ति खरीदने पर रोक है। अधिकारियों ने बताया कि पूरी घाटी में स्थिति शांतिपूर्ण है और अब तक कहीं से किसी अप्रिय घटना की खबर नहीं है। हड़ताल के कारण पूरी घाटी में दुकान और व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद हैं जबकि सड़कों पर कोई वाहन नहीं चल रहा है।
 
उच्चतम न्यायालय में अनुच्छेद 35-ए की वैधता को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई की तारीख तय किए जाने को लेकर ज्वॉइंट रसिस्टेंट लीडरशिप (जेआरएल) ने रविवार और सोमवार को 2 दिवसीय बंद का आह्वान किया है।
 
राज्य सरकार ने उच्चतम न्यायालय के रजिस्ट्रार के पास एक आवेदन दायर किया था जिसमें उसने सूचना दी थी कि वह आगामी पंचायत और शहरी स्थानीय निकाय एवं राज्य में नगरपालिका चुनावों के लिए चल रही तैयारी के कारण याचिका की सुनवाई स्थगित करने की मांग कर रही है। अधिकारियों ने बताया कि कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए शहर और कश्मीर में दूसरी अतिसंवेदनशील जगहों पर सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ाई गई है।
 
बार एसोसिएशन, ट्रांसपोर्टर एवं व्यापारिक संगठनों सहित विभिन्न संगठनों ने जेआरएल के बंद का समर्थन किया है। जेआरएल में सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारुख और मोहम्मद यासिन मलिक शामिल हैं। नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी जैसी मुख्य धाराओं की पार्टियों के कारण कश्मीर में पिछले कुछ दिनों में प्रदर्शन की कई घटनाएं होती रही हैं। इन पार्टियों ने अनुच्छेद 35-ए को जारी रखने के समर्थन में प्रदर्शन किया है।
 
अलगाववादियों के बंद के आह्वान को देखते हुए कश्मीर घाटी में रविवार और सोमवार के लिए ट्रेन सेवा को निलंबित रखा गया है। अधिकारियों ने रविवार को बताया कि उच्चतम न्यायालय में अनुच्छेद 35-ए की वैधता को कानूनी चुनौती के खिलाफ अलगाववादियों के पूर्ण बंद के आह्वान के कारण रविवार को कश्मीर घाटी में जनजीवन प्रभावित हुआ है।
 
अनुच्छेद 35-ए के तहत जम्मू-कश्मीर के बाहर के लोग राज्य में अचल संपत्ति नहीं खरीद सकते हैं। अधिकारी ने बताया कि घाटी में कानून और व्यवस्था की समस्या को लेकर आशंकाएं हैं जिसके कारण 5 और 6 अगस्त 2 दिनों के लिए ट्रेन सेवा बंद कर दी गई है।
 
हाल ही में ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस मजलिस शूरा (एग्जीक्यूटिव काउंसिल) ने कहा था कि यदि 35-ए के साथ छेड़छाड़ हुई तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस मामले में शूरा के महासचिव हाजी गुलाम नबी सुमजी ने आपातकालीन बैठक बुलाई थी। सुमजी ने कहा कि रियासत में बहुसंख्यक मुसलमानों को अल्पसंख्यक बनाने की कोशिश की जा रही है। इसके लिए सारी संवैधानिक हदों को पार किया जा रहा है। 35-ए को बरकरार रखने के लिए कश्मीर के लोगों के लिए मरने और मारने की स्थिति पैदा हो गई।
 
बैठक में इस विशेष दर्जे को बचाने के लिए ज्वॉइंट रजिस्टेंस लीडरशिप ने नई रणनीति बनाई। इसे कश्मीर के कारोबारी, ट्रांसपोर्टरों, कर्मचारियों, विद्यार्थी वर्ग सभी ने समर्थन दिया है। कहा कि 35-ए के हटने का मतलब है, जम्मू-कश्मीर में रोजगार के विकल्प खत्म करना। इससे लोग बेरोजगार होंगे, उनके पास रहने को जगह नहीं होगी। अनजाने लोग उनके आसपास आकर बस जाएंगे।
 
बैठक में यून सेक्रेटरी से अपील की गई है कि वे इस मुद्दे पर भारत सरकार से बात करें। कहा कि 35 ए और 370 का विशेष दर्जा लोगों को सुरक्षित करने के लिए दिया गया था। यदि यह हट गया तो इससे जम्मू-कश्मीर की पूरी स्थिति ही बदल जाएगी।
 
वहीं जेकेएलएफ चीफ पैट्रन अब्दुल मजीद और अय्यूब राथर ने कहा था कि 35-ए से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इसे हटाने वालों की मंशा को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। इससे राज्य की भौगोलिक स्थिति ही बदल जाएगी। रियासत के लोगों के लिए स्टेट सब्जेक्ट एक सुरक्षा है, जो उनसे छिन जाएगा। उन्होंने 35-ए को हटाने के विरोध में कश्मीर बंद को समर्थन दिया है।
 
बंद के चलते घाटी में हिंसा के आसार थे इसीलिए पुलिस ने अमरनाथ यात्रियों को भगवती नगर यात्री निवास पर ही रोक लिया है। साथ ही उधमपुर और रामबन में जांच करने के लिए विशेष चौकियां स्थापित की गई हैं। ये चौकियां इसलिए बनाई गई हैं ताकि यात्री इन दोनों मार्गों से आगे न निकल सकें, क्योंकि इन दोनों जिलों से गुजरकर ही यात्री जम्मू-कश्मीर राजमार्ग पहुंचते हैं। याद रहे कि 28 जून से अमरनाथ यात्रा शुरू हुई है, इस यात्रा का समापन श्रावण पूर्णिमा 26 अगस्त को होगा।
 
क्या है अनुच्छेद 35-ए में?
 
साल 1954 में 14 मई को राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने एक आदेश पारित किया था। इस आदेश के जरिए संविधान में एक नया अनुच्छेद 35-ए जोड़ दिया गया। संविधान की धारा 370 के तहत यह अधिकार दिया गया है। 35-ए संविधान का वह अनुच्छेद है, जो जम्मू-कश्मीर विधानसभा को लेकर प्रावधान करता है कि वह राज्य में स्थायी निवासियों को परिभाषित कर सके। वर्ष 1956 में जम्मू-कश्मीर का संविधान बना जिसमें स्थायी नागरिकता को परिभाषित किया गया।
 
जम्मू-कश्मीर के संविधान के मुताबिक स्थायी नागरिक वह व्यक्ति है, जो 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक रहा हो या फिर उससे पहले के 10 सालों से राज्य में रह रहा हो और उसने वहां संपत्ति हासिल की हो। अनुच्छेद 35-ए की वजह से जम्मू-कश्मीर में पिछले कई दशकों से रहने वाले बहुत से लोगों को कोई भी अधिकार नहीं मिला है। 1947 में पश्चिमी पाकिस्तान को छोड़कर जम्मू में बसे हिन्दू परिवार आज तक शरणार्थी हैं।
 
एक आंकड़े के मुताबिक 1947 में जम्मू में 5 हजार 764 परिवार आकर बसे थे। इन परिवारों को आज तक कोई नागरिक अधिकार हासिल नहीं हैं। अनुच्छेद 35-ए की वजह से ये लोग सरकारी नौकरी भी हासिल नहीं कर सकते और न ही इन लोगों के बच्चे यहां व्यावसायिक शिक्षा देने वाले सरकारी संस्थानों में दाखिला ले सकते हैं।
 
जम्मू-कश्मीर का गैर स्थायी नागरिक लोकसभा चुनावों में तो वोट दे सकता है, लेकिन वो राज्य के स्थानीय निकाय यानी पंचायत चुनावों में वोट नहीं दे सकता। अनुच्छेद 35-ए के मुताबिक अगर जम्मू-कश्मीर की कोई लड़की किसी बाहर के लड़के से शादी कर लेती है तो उसके सारे अधिकार खत्म हो जाते हैं, साथ ही उसके बच्चों के अधिकार भी खत्म हो जाते हैं। इस अनुच्छेद को हटाने के लिए एक दलील ये भी दी जा रही है कि इसे संसद के जरिए लागू नहीं करवाया गया था।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

मुंबई के आरटीओ कार्यालय में आग, दस्तावेज और कम्प्यूटर जलकर खाक