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JNU की बर्बादी रोकने के लिए छात्रों का संसद मार्च, बोले पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष,पुलिस कार्रवाई को बताया गलत

हमें फॉलो करें JNU की बर्बादी रोकने के लिए छात्रों का संसद मार्च, बोले पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष,पुलिस कार्रवाई को बताया गलत
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विकास सिंह

, सोमवार, 18 नवंबर 2019 (18:03 IST)
संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन जेएनयू छात्रों के पैदल मार्च के दौरान दिल्ली की सड़कों पर पुलिस और छात्रों के बीच बड़ा टकराव देखने को मिला है। जेएनयू में फीस बढ़ोत्तरी के खिलाफ पिछले कई दिनों जारी विरोध प्रदर्शन के बाद सोमवार को छात्रों ने संसद की ओर कूच कर दिया।

यूनिवर्सिटी से शुरु हुए इस पैदल मार्च में हजारों की संख्या में छात्र सड़कों पर उतर आए। छात्रों ने जैसे ही जेएनयू से बाहर निकलने की कोशिश पुलिस के साथ उनकी तीखी झड़प हुई , इस दौरान पुलिस ने छात्र संघ अध्यक्ष समेत कई छात्रों को हिरासत में ले लिया। 
 
पुलिस से हुई तीखी झड़प के बीच जेएनयू के छात्रों ने अपनी आवाज दबाने का आरोप लगाया है। वेबदुनिया से बातचीत में जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष मोहित पांडे ने यूनिवर्सिटी प्रशासन और केंद्र सरकार पर छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करने का आरोप लगाते हुए इसे तानाशाही करार दिया है। वह कहते हैं कि आज छात्रों की बात ही नहीं सुनी जा रही है जिसके बाद अब छात्र मजूबरी में सड़क पर उतरने को मजबूर हुए है।  
 
वेबदुनिया से बातचीत में मोहित फीस बढ़ोत्तरी को गलत ठहराते हुए कहते हैं कि जिस तरह 900 फीसदी तक फीस में बढोत्तरी की गई है उससे आज यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले करीब 45 फीसदी छात्रों के सामने नया संकट खड़ा हो गया है। 
 
वेबदुनिया से बातचीत में छात्रसंघ के पूर्व अध्य़क्ष मोहित कहते हैं कि सवाल केवल फीस बढ़ोत्तरी का नहीं है इसके साथ ही लगभग 9 हजार छात्रों का भविष्य दांव पर लग गया है। वह कहते हैं फीस बढ़ोत्तरी के बाद गरीब और कमजोर वर्ग के छात्र कैसे पढ़ेंगे यह बड़ा सवाल है लेकिन इसका जवाब कोई नहीं दे रहा है।
 
बातचीत में मोहित जेएनयू में फीस बढोत्तरी के बहाने मोदी सरकार पर सवाल उठाते हुए कहते है कि एक और केंद्र सरकार सबका साथ सबका विकास की बात कहती है वहीं एचआरडी मंत्रालय फीस बढोत्तरी पर पूरी तरह मौन है। वह कहते हैं कि आज जेएनयू जैसी यूनिवर्सिटी को बर्बाद करने की कोशिश की जा रही है जिसके खिलाफ अब मजबूरी में छात्र सड़क पर है।

वह कहते हैं कि होना तो यह चाहिए था कि एचआरडी मंत्रालय को जेएनयू के फीस मॉडल को अन्य यूनिवर्सिटी में लागू करना चाहिए था लेकिन इसके ठीक उलट फीस बढ़ाकर छात्रों को एजुकेशन से रोकने की कोशिश की जा रही है। वह कहते हैं कि जिस जेएनयू की एजुकेशन फील्ड में अपनी अलग ही रैंकिंग है उसको आज नष्ट करने की कोशिश की जा रही है और अब जेएनयू की बर्बादी रोकने लिए हजारों की संख्या में छात्र संसद मार्च कर रहे है। 
 

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