नई दिल्ली। अन्नाद्रमुक की प्रमुख और तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की मौत को लेकर अपोलो अस्पताल ने बड़ा खुलासा किया है। अस्पताल के चेयरमैन डॉ. प्रताप सी रेड्डी ने बताया कि इलाज के दौरान जयललिता 75 दिन आईसीयू में अकेली ही रहीं थीं और इस दौरान आईसीयू के सभी सीसीटीवी कैमरे बंद थे। जयललिता की चेन्नई के अपोलो अस्पताल में 5 दिसंबर 2016 को मौत हो गई थी। 24 घंटे बाद जयललिता के मृत होने की खबर आई कि रात 11.30 बजे जयललिता ने अंतिम सांस ली।
चेयरमैन डॉ. प्रताप सी रेड्डी ने बताया कि अपोलो अस्पताल की एक इंटेनसिव केयर यूनिट में 24 मरीजों के रखने की व्यवस्था है, लेकिन इसमें केवल जयललिता को रखा गया था और वे यहां 75 दिनों तक अकेली रहीं। केवल उनका इलाज कर रहे डॉक्टरों की ही वहां जाने की इजाजत थी। और इन 75 दिनों के दौरान आईसीयू के सभी सीसीटीवी कैमरे बंद कर दिए गए थे।
डॉ. रेड्डी ने एक कार्यक्रम के बाद मीडिया को बताया कि दुर्भाग्य से सीसीटीवी कैमरे बंद कर दिए गए थे। क्योंकि अस्पताल प्रबंधन नहीं चाहता था कि उन (जयललिता) पर कोई और नजर रखे। इस दौरान उनके फ्लोर वाले सभी मरीजों को दूसरे फ्लोर पर शिफ्ट कर दिया गया था। ऐसा सुरक्षा कारणों से किया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि अस्पताल के 24 बेड इंटेंसिव केयर यूनिट को खाली कराया गया था और जयललिता वहां इकलौती मरीज थीं।
अस्पताल प्रमुख का यह बयान जयललिता की करीबी वीके शशिकला के उस बयान से एकदम उलट है जिसमें उन्होंने कहा था कि आखिरी दिनों में जयललिता की वीडियोग्राफी करवाई जा रही थी।
जयललिता 22 सितंबर से 5 दिसंबर 2016 तक अस्पताल में भर्ती रहीं। इस दौरान किसी को भी उनसे मिलने की अनुमति नहीं देने के आरोपों पर शशिकला ने आयोग को बताया कि तमिलनाडु के पूर्व राज्यपाल सीएच विद्यासागर राव ने जयललिता से 22 अक्टूबर 2016 को मुलाकात की थी। उन्होंने बताया कि अन्नाद्रमुक नेता ओ पनीरसेल्वम, एम थम्बी दुराई और स्वास्थ्य मंत्री सी विजय भास्कर ने भी 22 से 27 सितंबर के बीच उनसे मुलाकात की थी। हालांकि पनीरसेल्वम और थम्बीदुराई ने कहा है कि जयललिता के अस्पताल में रहने के दौरान उन्हें उनसे मिलने नहीं दिया गया।
उस दौरान प्रेस से बातचीत में पनीरसेल्वम ने कहा था, "हम उनके कमरे में नहीं गए क्योंकि हमें डर था कि उन्हें इन्फेक्शन न हो जाए। हम चाहते थे कि वह स्वस्थ होकर वापस लौटें। वो लोग (शशिकला) बाहर आकर बताते थे कि अम्मा ठीक हैं, खाना खा रही हैं। हम बस ओके..थैंक यू...कहकर रह जाते थे। हम अम्मा के बीमार होने से दुखी थे।"
जस्टिस ए अरुमुगास्वामी आयोग को दिए गए अपने शपथपत्र में शशिकला ने कहा था कि उन्होंने जयललिता की अनुमति से उनके वीडियो रिकॉर्ड किए थे। शपथपत्र में शशिकला ने लिखा था कि उन्होंने जयललिता के स्वास्थ्य का रिकॉर्ड रखने के लिए ऐसा किया। उन्होंने कहा कि अपोलो अस्पताल में रिकॉर्ड किए चार वीडियो क्लिप उन्होंने आयोग को दे दिए हैं।
अपोलो अस्पताल के चेयरमैन प्रताप सी रेड्डी ने कहा, "सीसीटीवी कैमरे बंद कर दिए गए थे। एक आईसीयू में वह अकेली मरीज थीं। फुटेज रिकॉर्ड नहीं किए गए क्योंकि वे (जया के करीबी) नहीं चाहते थे कि हर कोई उनके इलाज की प्रक्रिया को देखे।"
उन्होंने बताया कि गंभीर हालत में जयललिता को अस्पताल लाया गया था। इलाज के दौरान उनकी स्थिति में सुधार भी हुआ, लेकिन दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई। उन्होंने बताया कि जयललिता के इलाज के दौरान सभी दस्तावेजों को उनकी मौत की जांच कर रहे आयोग को सौंप दिया गया है। (एजेंसी)