श्रीनगर। यह एक बुरी खबर हो सकती है कि कश्मीर भारत का सीरिया बनने की ओर अग्रसर है। इस आशंका को अब कश्मीर में शांति लाने के लिए कोशिशें करने के लिए नवनियुक्त वार्ताकार दिनेश्वर शर्मा भी प्रकट कर चुके हैं, जबकि केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा राज्य सरकार को मिली चेतावनियों में कहा गया है कि आतंकी आने वाले दिनों में भयानक तबाही मचा सकते हैं। ऐसी चेतावनियों के पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि सीरिया में रूसी और अमेरिकी फौजों के हाथों पिटने के बाद आईएस के आतंकी अब कश्मीर की ओर मुड़ सकते हैं और कश्मीर के हालात में नया आयाम भी आ सकता है।
फिलहाल इस शंका से इंकार नहीं किया जा रहा कि आईएस का रुख पूरी तरह से कश्मीर की ओर हो सकता है। ऐसी शंका के पीछे तर्क दिया जा रहा है कि पाकिस्तान की खुफिया संस्था आईएसआई इन आतंकियों का इस्तेमाल अब कश्मीर में करना चाहेगा।
ताजा घटनाक्रम के उपरांत कोई आईएस आतंकी कश्मीर में प्रवेश पाने में कामयाब रहा है या नहीं अधिकारी सुनिश्चित नहीं हैं, परंतु उनके आने की संभावनाओं से वे इंकार नहीं करते। यही कारण है कि सीमाओं पर चौकसी को कड़ा किया गया है तथा सुरक्षा प्रबंधों को और मजबूत बनाया जा रहा है।
इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय की चेतावनियों भी आनी आरंभ हो गई हैं। इन चेतावनियों के बकौल आईएस के आतंकियों के कदम कश्मीर की ओर मुड़ सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो कश्मीर में भयानक तबाही का मंजर हो सकता है और परिस्थितयां नया रुख धारण कर लेंगी।
ऐसी चेतावनियों को हल्के ढंग से भी नहीं लिया जा रहा है। उनके प्रति गंभीरता दिखाई जा रही है क्योंकि मामला ही इतना गंभीर है कि पहले से ही विदेशी आतंकियों से जूझ रहे सुरक्षाबलों के लिए आईएस चिंता का विषय इसलिए भी बन गए हैं क्योंकि वे जानते हैं कि उनका कश्मीर में आईएस का प्रवेश पहले से सक्रिय आतंकियों के लिए नया संचार और मृतप्राय: हो रहे आतंकवाद में नई जान फूंकने वाला होगा।
इन चेतावनियों पर अमल भी हो रहा है। सुरक्षा प्रबंधों को ऐसा बनाया जा रहा है कि आतंकवादी उसे भेद्य न सकें। परंतु चौंकाने वाली बात यह है कि साथ ही में सुरक्षाधिकारी यह भी कहते हैं- ‘अगर कोई आत्महत्या के इरादे से आत्मघाती हमला कर ही दे तो रोकना संभव नहीं होता अर्थात अधिकारियों को अपने सुरक्षा प्रबंधों पर शक तो नहीं है परंतु आत्मघाती या फिर फिदायीन हमलों की परिस्थिति में वे हाथ खड़े कर देने की बातें कर रहे हैं। गौरतलब बात यह है कि आतंकी अभी भी आत्मघाती तथा फिदायीन हमलों को ही अंजाम दे रहे हैं।
आईएस के आतंकियों के कहर से निपटने की खातिर किए जा रहे प्रबंधों का खुलासा तो नहीं किया जा रहा परंतु उनके फुलप्रूफ होने का दावा अवश्य है। यह बाद की बात है कि ये प्रबंध कहां तक आत्मघाती हमलों के समक्ष टिक पाएंगे यह तो समय ही बताएगा, लेकिन इतना अवश्य है कि आईएस के भूत से सुरक्षाधिकारी अवश्य त्रस्त हो गए हैं जिनकी दहशत में अब केन्द्रीय गृह मंत्रालय की चेतावनियां अपनी अहम भूमिका निभा रही हैं।
इसे भूला नहीं जा सकता कि तालिबान तथा अलकायदा द्वारा संचालित दो आतंकवादी संगठनों जैश-ए-मुहम्मद तथा लश्करे तैयबा-की गतिविधियों से पहले से ही सुरक्षाबल परेशानी में हैं और अब आईएस के सीधे कश्मीर की जंग में कूद जाने के समाचार उनके हौंसलों को ’पस्त‘ अवश्य करने लगे हैं।
हालांकि कुछेक अधिकारियों का मानना है कि जैश-ए-मुहम्मद और लश्करे तैयबा के रूप में तालिबानी लड़कों से वे पहले से ही निपट रहे हैं, जिन्हें अलकायदा ने ट्रेनिंग दी है। वे कहते हैं कि आईएस का मात्र हौव्वा ही बनाया जा रहा है, जबकि वे इतना विश्वास अवश्य दिलाते हैं कि आईएस का भी वही हाल होगा जो अन्य आतंकवादी गुटों का कश्मीर में हो रहा है। वे कहते हैं कि भारतीय जवान की बहादुरी पर शक नहीं किया जाना चाहिए। इतना जरूर था कि कश्मीर के सीरिया बन जाने की खबरों से कश्मीरी सबसे ज्यादा डरे हुए हैं।