नई दिल्ली। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि भारत के आपदा प्रबंधन और प्रतिक्रिया में हालांकि सुधार हुआ है, लेकिन जोशीमठ की घटना जैसे संकटों का कारण बढ़ती जनसंख्या और बुनियादी ढांचा है।
उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ को अधिकारियों ने भूस्खलन और धंसाव प्रभावित क्षेत्र घोषित किया है। जोशीमठ में आवासीय एवं व्यावसायिक भवनों और सड़कों तथा खेतों में चौड़ी दरारें दिखाई दी हैं। कई भवनों को असुरक्षित घोषित कर दिया गया है और निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया गया है।
आईयूसीएन में भारत के प्रतिनिधि यशवीर भटनागर ने कहा, चाहे वह अचानक आई बाढ़ हो, बादल फटना हो या जोशीमठ जैसी घटनाएं हों, ऐसा आंशिक रूप से इन मुद्दों के कारण ही है। इस तरह की घटनाओं की जड़ मानव आबादी में वृद्धि, पर्यटकों के लिए बुनियादी ढांचे का विस्तार और हिमालय की नाजुकता है।
उन्होंने कहा, संरक्षणवादियों के रूप में, हम हर जगह विकास को रोकना नहीं चाहते हैं। हम यह जानते हुए भी इसे यथासंभव सतत बनाना चाहते हैं कि हिमालय के दूरदराज के गांवों को बुनियादी सुविधाओं की आवश्यकता है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा जारी की गई उपग्रह तस्वीरों से पता चला था कि हिमालयी शहर केवल 12 दिनों में 5.4 सेंटीमीटर तक धंस गया। जमीन धंसने की यह घटना संभवत: 2 जनवरी से शुरू हुई थी। हालांकि जोशीमठ भूस्खलन की आशंका वाले क्षेत्र में एक संवेदनशील पहाड़ी ढलान पर बना है।
आईयूसीएन इंडिया और टीसीएस फाउंडेशन ने भविष्य के लिए हिमालय नामक एक पहल शुरू की है, जिसका उद्देश्य भारतीय हिमालयी क्षेत्र (आईएचआर) में स्थिरता और लोगों की भलाई को बढ़ाना है। आईयूसीएन इंडिया की कार्यक्रम प्रबंधक अर्चना चटर्जी ने बताया, हम एक ऐसा उपकरण तैयार कर रहे हैं जिसके जरिए वनों, शहरीकरण, जल संसाधनों, ऊर्जा, बुनियादी ढांचे आदि पर ध्यान दिया जाएगा।
उन्होंने कहा, हम इन मुद्दों को एकीकृत तरीके से देखना चाहते थे और इस क्षेत्र में सामने आ रही चुनौतियों से निपटने के लिए हमें नीतियों और कार्यक्रमों के संदर्भ में अब एक योजना बनानी होगी।
भटनागर ने कहा कि हालांकि कुछ आलोचना हुई है, लेकिन भारत ने आपदा तैयारी और प्रतिक्रिया के मामले में काफी सुधार किया है। उन्होंने कहा, हम देख सकते हैं कि केदारनाथ के लिए बेहतर प्रतिक्रिया थी। भारत भूकंप प्रभावित तुर्किए और सीरिया की भी तेजी से मदद कर रहा है।
तुर्किए अैर सीरिया में 6 फरवरी को 7.9 तीव्रता का भूकंप आया था। भारत ने तुर्किए और सीरिया को सहायता प्रदान करने के लिए ऑपरेशन दोस्त शुरू किया है। यह पूछे जाने पर कि क्या पर्यटन क्षेत्र, कृषि और पनबिजली परियोजनाओं के विस्तार के साथ आईएचआर में आपदाओं और संकटों का जोखिम बढ़ने जा रहा है, भटनागर ने कहा, मौसम की प्रतिकूल घटनाएं निश्चित रूप से बढ़ने वाली हैं।
भटनागर ने कहा, हमारी परियोजना लोगों को यह समझने में मदद कर सकती है कि किस प्रकार प्रतिक्रिया दें और बुनियादी ढांचे का कैसे और कहां निर्माण करें। चार धाम परियोजना और उससे जुड़ी आलोचनाओं पर उन्होंने कहा कि हालांकि इस परियोजना का एक रणनीतिक पहलू है, हमें पर्यावरणीय प्रभावों को यथासंभव सर्वोत्तम स्तर पर देखना चाहिए।
उत्तराखंड में चार धाम परियोजना का उद्देश्य तीर्थ स्थलों यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को सभी मौसम में सड़क संपर्क प्रदान करना है। इसमें 900 किमी राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण शामिल है।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)