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चार महीनों में 15 लाख किमी की यात्रा करेगा ISRO का Aditya-L1, क्‍या है खासियत, कितनी लागत में करेगा सूर्य पर कब्‍जा

हमें फॉलो करें चार महीनों में 15 लाख किमी की यात्रा करेगा ISRO का Aditya-L1, क्‍या है खासियत, कितनी लागत में करेगा सूर्य पर कब्‍जा
, मंगलवार, 29 अगस्त 2023 (14:37 IST)
  • चार महीनों में 15 लाख किमी की यात्रा करेगा Aditya-L1
  • 2 सितंबर को श्रीहरिकोटा के मुख्य अंतरिक्ष स्टेशन से सुबह 11:50 बजे होगा लॉन्च।
  • लैग्रेंज बिंदु 1 (L1) तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगे।
  • चंद्रयान से आधी बताई जा रही है Aditya-L1 की लागत।
ISRO Solar Mission Aditya-L1: चंद्रयान-3 की कामयाबी ने पूरी दुनिया में झंडे गाड़ दिए हैं। चारों तरफ इसरो की इस उपलब्‍धि की चर्चा है। चांद के बाद अब भारत सूर्य पर तिरंगा लहराने का मन बना चुका है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आदित्य-एल1(Aditya L1) के लॉन्च की घोषणा कर दी है। इसरो के मुताबिक आदित्य-एल 1 को 2 सितंबर को सुबह 11:50 बजे पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV-C57) के जरिये आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा के मुख्य अंतरिक्ष स्टेशन पर लॉन्च के लिए तैयार है।

लॉन्च किया जाएगा। श्रीहरिकोटा लॉन्च व्यू गैलरी से इसकी लॉन्चिंग देखने की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है। उम्‍मीद की जा रही है कि चंद्रयान की तरह ही आदित्‍य एल 1भी कामयाब होगा।

ऐसे में जानना दिलचस्‍प होगा कि आखिर आदित्य-एल1(Aditya L1) क्‍या है, क्‍या है इसकी खासियत और क्‍या है इसका मकसद।

15 लाख किलोमीटर का करेगा सफर : इसरो के मुताबिक इस मिशन को सूर्य की तरफ करीब 15 लाख किलोमीटर तक भेजा जाएगा। जिस जगह पर आदित्य एल-1 अंतरिक्ष यान जाएगा उसे एल-1 यानी लैग्रेंज प्वाइंट वन (1) कहते हैं। ये दूरी पृथ्वी और सूर्य की दूरी का महज 1 प्रतिशत है।

क्या है लैग्रेंज प्वाइंट : धरती और सूर्य के बीच की दूरी लगभग 15 करोड़ किलोमीटर है। इस दूरी के बीच में कई ऐसे बिंदु हैं, जहां से सूर्य को स्पष्ट देखा जाता है। धरती और सूर्य के बीच लैग्रेंज प्वाइंट ही वो जगह है, जहां से सूर्य को बिना किसी ग्रहण या अवरोध के देखा जा सकता है। धरती और सूर्य के बीच 5 लैग्रेंज प्वाइंट हैं। इस पर किसी अंतरिक्ष यान का गुरुत्वाकर्षण सेंट्रिपेटल फोर्स के बराबर हो जाता है। जिसकी वजह से यहां कोई भी यान लंबे समय तक रुक कर शोध कर सकता है। इस जगह को ‘अंतरिक्ष का पार्किंग’ भी कहा जाता है, क्योंकि बेहद कम ईंधन के साथ इस जगह पर अंतरिक्ष यान को स्थिर किया जा सकता है। बता दें कि एल 1, एल 2 और एल 3 प्वाइंट स्थिर नहीं है। इसकी स्थिति बदलती रहती है। जबकि एल 4 और एल 5 स्थिर है और अपनी स्थिति नहीं बदलते हैं।

चंद्रयान की आधी लागत में आदित्‍य : बता दें कि आदित्य-एल1 भारत के हैवी-ड्यूटी लॉन्च वाहन, पीएसएलवी पर सवार होकर 1.5 मिलियन किलोमीटर की यात्रा करेगा। एस सोमनाथ ने बताया कि 'प्रक्षेपण के बाद इसे पृथ्वी से लैग्रेंज बिंदु 1 (L1) तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगे। जहां तक इसके खर्च और लागत की बात है तो चंद्रयान-3 मिशन के लिए मात्र 600 करोड़ रुपए का खर्च आया था, जबकि आदित्य-एल1 को चंद्रयान-3 की लगभग आधी लागत पर बनाया गया है। यानी आदित्‍य पर 600 करोड़ रुपए से भी कम की लागत आएगी। आदित्‍य एल1 पूरी तरह से स्‍वदेशी है।

क्‍या है आदित्‍य का मकसद : आदित्य-L1 अंतरिक्ष यान को सूरज की बाहरी परत का दूरस्थ अवलोकन प्रदान करने और सौर वातावरण का अध्ययन करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह सौर हवाओं का अध्ययन करेगा, जो पृथ्वी पर अशांति पैदा कर सकती हैं और आमतौर पर 'ऑरोरा' के रूप में देखी जाती हैं। लंबी अवधि में मिशन का डेटा पृथ्वी के जलवायु पैटर्न पर सूर्य के प्रभाव को बेहतर ढंग से समझने में मदद कर सकता है। ISRO के अनुसार आदित्य-एल1 सात पेलोड ले जाएगा, जो फोटोस्फीयर (सूर्य की दृश्यमान सतह), क्रोमोस्फीयर (दृश्यमान सतह के ठीक ऊपर) और सूर्य की सबसे बाहरी परत (कोरोना) का अलग-अलग अवलोकन और रिसर्च करेगा।
Edited by navin rangiyal

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