नई दिल्ली। दूरसंचार एवं प्रौद्योगिकी उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के पास चीन की जगह दूरसंचार प्रौद्योगिकी उपकरणों का वैश्विक आपूर्तिकर्ता बनने की क्षमता है। इसके लिए सरकार को उचित तरीके से पहल करने, प्रौद्योगिकी उद्योग को वित्तीय संकट से उबार कर मदद करने की जरूरत है।
यह बात फॉरेन करेसपोंडेंट क्लब साउथ एशिया (एफसीसी) के एक वेबिनार के दौरान निकलकर सामने आई। इस वेबिनार में टेक महिंद्रा के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी सीपी गुरनानी, सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के महाप्रबंधक राजन मैथ्यूज और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी एवं सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेस इंडिया लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी दिनेश त्यागी शामिल हुए।
इस बारे में गुरनानी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत का मतलब अंतरराष्ट्रीय व्यापार से दूर होना नहीं है, बल्कि इसका मतलब है कि हमें वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में आगे आकर नेतृत्व करना है। भारत इसे हासिल कर सकता है लेकिन उसके लिए हमें सरकार के नेतृत्व करने की जरूरत है ताकि आत्मनिर्भर भारत को वास्तविकता बनाया जा सके।
वहीं मैथ्यूज ने कहा कि हमारे पास योग्यता है, हमें अपनी क्षमता का मौद्रिक लाभ उठाना चाहिए। हम शोध एवं विकास में बहुत निवेश नहीं करते हैं और नतीजतन हम बौद्धिक संपदा अधिकार के खेल में पीछे छूट गए। यदि हमें आत्मनिर्भर भारत बनाना है तो हमें अपने शोध एवं विकास को प्रोत्साहन देना होगा।
हमें ‘ओपन सोर्स’ को एक बड़े कारोबारी अवसर के तौर पर देखना होगा। अन्य देशों की तरह एक या दो उद्योगों को प्राथमिकता देनी होगी। इतना ही नहीं हमें ऋण को सस्ता करना होगा, लोगों के हाथ में पैसा देना होगा जो वास्तव में मूल्यूवर्द्धन करते हैं। स्टार्टअप कंपनियों को पैसा देना होगा।
वेबिनार के दौरान अन्य विशेषज्ञों ने कहा कि देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नीतिगत पहल, लोक-निजी भागीदारी और उद्यम अनुकूल वातावरण तैयार करना होगा, तभी भारत यह लंबी छलांग लगा सकता है।(भाषा)