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साल 2022: नए साल में ‘मन के जीते जीत’ का लें संकल्प: डॉ सत्यकांत त्रिवेदी

महत्वाकांक्षा और स्किल में बनाए बैलेंस, अति महत्वाकांक्षा दुख का कारण

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विकास सिंह

, शुक्रवार, 31 दिसंबर 2021 (13:50 IST)
नए साल का स्वागत आज पूरी दुनिया नई उमंग और नए जोश के साथ कर रही है। हम सभी नए संकल्प के साथ नए साल में प्रवेश कर रहे है। साल 2021 में कोरोना महामारी से जूझती दुनिया के साथ हम सभी भी जाने-अनजाने एक ऐसे तनाव के माहौल से गुजरे जिसने हमारी मानसिक और शारीरिक क्षमताओं पर बहुत ही विपरीत असर डाला। साल 2022 का आगाज भी कोरोना की चुनौतियों से जूझते ही हो रहा है। ऐसे में आज हम सभी का धरातल की सच्चाई को स्वीकार कर नए साल में ‘मन के जीते जीत’ के संकल्प के साथ आगे बढ़ना होगा। 
 
कोरोनाकाल में मेंटल हेल्थ को जागरूकता कैंपेने चलाने वाले प्रसिद्ध मनोचिकित्सक डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि नए वर्ष में हम सभी को अपने मानसिक स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के साथ नकारात्मक विचारों से दूर रहने की करें हर संभव कोशिश करनी होगी। कई बार मानसिक स्वास्थ्य से मतलब लोग मानसिक रोग से समझते है जबकि वास्तव में मानसिक रोग खराब मानसिक स्वास्थ्य का एक परिणाम हो सकता है।

एक अच्छे मानसिक स्वास्थ्य को परिभाषित करते हुए डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि अच्छे मानसिक स्वास्थ्य से मेरा आशय है कि हमारी सोचने समझने की शक्ति के साथ हमारे निर्णय लेने की क्षमता बढ़िया हो। हमें अपनी बुद्धि और विवेक में समन्वय कर तार्किक बात रखनी होगी।   

मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए अपनी रिलेशनशिप यानि सामाजिक संबंधों को बढ़िया रखना होगा सके। चाहे वह रिलेशनशिप खुद से हो या परिवार से हो या मेरे दफ्तर में मेरे सहयोगी से हो। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि हमें सरल और स्पष्ट शब्दों में अपनी बातें रखकर अच्छा संवाद रखना होगा।

सबसे महत्वपूर्ण बात हैं कि हमें मनुष्य होने के नाते अपनी समीओं को समझना और परखना होगा। हम सभी को अपनी महत्वाकांक्षा और स्किल में बैलेंस बनाने के साथ अपनी स्किल को पहचान कर टारगेट को तय करना होगा। क्योंकि अति महत्वाकांक्षा ही हमारे दुख और परेशानी का कारण बनती है। वास्तविकता यह है कि हमारी महत्वाकांक्षा और स्किल में बहुत अंतर होता है। दोनों के बीच की जो खाई है उसको पाटने के साथ एक बैलेंस बनाकर रखना होगा। हम सभी को यह बात समझनी होगी कि बहुत सारे काम हम नहीं कर पाएंगे और ऐसी ही अपेक्षा अपने साथ वालों से भी रखनी होगी। जिसके चलते टकराव की समस्या नहीं होगी।

‘वेबदुनिया’ के माध्यम से डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी  लोगों से अपील करते हैं कि नए साल  का जश्न नशा मुक्त होना चाहिए। वह कहते हैं कि 31 दिसंबर की शाम को या रात में जश्न मनाने की बजाए एक जनवरी को मनाएं जिससे कि हम नशे के दुष्प्रभाव की चेपट में आ सकते है। 
 

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