Conference of Top Commanders of the Indian Army : भारतीय सेना के शीर्ष कमांडरों ने उभरते खतरों और चुनौतियों के मद्देनजर सैन्य बल को भविष्य के लिए तैयार रखने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित करने के अलावा रूस-यूक्रेन युद्ध और इजराइल-हमास संघर्ष से प्रासंगिक सबक लेने के लिए 5 दिवसीय सम्मेलन में विचार-विमर्श किया।
दिल्ली में 16 से 20 अक्टूबर तक सैन्य कमांडरों के सम्मेलन में चीन के साथ लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की स्थिति और किसी भी आकस्मिक हालात से निपटने के लिए सेना की अभियानगत तैयारी को बढ़ाने के तरीकों पर भी चर्चा हुई।
अधिकारियों ने बताया कि सैन्य कमांडरों ने वर्तमान और उभरते सुरक्षा परिदृश्यों पर विचार-मंथन किया और भारतीय सेना की अभियानगत तैयारियों की समीक्षा की। इसके साथ ही उन्होंने सैन्य बल की संगठनात्मक संरचनाओं और विकसित प्रशिक्षण व्यवस्थाओं के बुनियादी पहलुओं पर भी चर्चा की।
हाल में सिक्किम में हिमनद झील के टूटने और उसके बाद अचानक आई बाढ़ के अलावा ऐसी स्थितियों में बेहतर कदम उठाने के लिए तंत्र स्थापित करने को लेकर ध्यान केंद्रित करने पर विचार-विमर्श किया गया। सैन्य कमांडरों का सम्मेलन शीर्ष स्तरीय कार्यक्रम है जो हर साल अप्रैल और अक्टूबर में आयोजित किया जाता है।
यह सम्मेलन विचार-विमर्श के लिए एक संस्थागत मंच है, जो भारतीय सेना के लिए महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय लेने में परिणत होता है। अधिकारियों ने कहा कि सैन्य नेतृत्व ने भारतीय सेना के लिए प्रशिक्षण के संबंध में भी चर्चा की, जिसमें खतरों और संघर्षों के उभरते परिदृश्य के अनुरूप सैन्य बल को भविष्य के लिए तैयार रखने की कवायद शामिल है।
उन्होंने कहा कि सैन्य नेतृत्व द्वारा रूस-यूक्रेन युद्ध और इजराइल-हमास संघर्ष सहित भू-रणनीतिक मुद्दों और उसके प्रासंगिक सबक पर चर्चा की गई। सम्मेलन को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान, थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे और एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने संबोधित किया।
सेना ने एक बयान में कहा कि रक्षामंत्री ने मध्य पूर्व के भू-राजनीतिक संकट और संघर्ष से सबक लेने की आवश्यकता पर जोर दिया।(भाषा)
Edited By : Chetan Gour