सुप्रीम कोर्ट का अदालती जमानत की शर्त पर अहम फैसला

शीर्ष अदालत ने उड़ीसा उच्च न्यायालय के फैसले पर लगाई रोक

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
मंगलवार, 26 मार्च 2024 (16:32 IST)
Important decision of Supreme Court : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court), नई दिल्ली (New Delhi) ने एक व्यक्ति पर उड़ीसा उच्च न्यायालय (Orissa High Court) द्वारा लगाई गई जमानत की इस शर्त को खारिज कर दिया है कि वह किसी भी राजनीतिक गतिविधि में शामिल नहीं होगा। शीर्ष अदालत ने जमानत की शर्त खारिज करते हुए कहा कि यह उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा।

ALSO READ: दिल्ली हाईकोर्ट से अरविंद केजरीवाल को बड़ा झटका, 27 मार्च से पहले सुनवाई नहीं
 
महापौर की याचिका पर आदेश पारित : न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने उच्च न्यायालय के 18 जनवरी के आदेश के खिलाफ बरहामपुर नगर निगम के पूर्व महापौर शिवशंकर दास की याचिका पर यह आदेश पारित किया। उच्च न्यायालय ने जमानत की शर्त वापस लेने के अनुरोध वाली दास की अर्जी खारिज कर दी थी।
 
दास की जमानत शर्त में कहा गया था कि वह सार्वजनिक तौर पर कोई अप्रिय स्थिति उत्पन्न नहीं करेंगे और प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर किसी भी राजनीतिक गतिविधि में शामिल नहीं होंगे। उच्च न्यायालय ने अगस्त 2022 में दास को जमानत पर रिहा करने का आदेश देते हुए यह शर्त लगाई थी।

ALSO READ:  अरविंद केजरीवाल पहुंचे हाईकोर्ट, गिरफ्तारी के खिलाफ जल्द सुनवाई की लगाई गुहार
 
अपीलकर्ता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा : शीर्ष अदालत ने 22 मार्च के अपने आदेश में कहा कि हमने पाया है कि ऐसी शर्त लगाने से अपीलकर्ता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा और ऐसी कोई शर्त नहीं लगाई जा सकती। इसमें कहा गया है कि इसलिए हम उच्च न्यायालय द्वारा लगाई गई शर्त को खारिज करते हैं।
 
दास ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर जमानत पर रिहाई का निर्देश देते हुए 11 अगस्त 2022 के आदेश में लगाई गई शर्त में संशोधन का अनुरोध किया था। दास के वकील ने उच्च न्यायालय को बताया था कि अपीलकर्ता को एक राजनीतिक व्यक्ति होने के नाते आगामी आम चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति दी जा सकती है।
 
राज्य ने उनके अनुरोध पर आपत्ति जताई थी और कहा था कि जमानत पर रिहा होने के बाद उन पर एक हमला किया गया था। उच्च न्यायालय ने कहा कि दोनों पक्षों को सुनने और वर्तमान स्थिति पर विचार करने के बाद, क्योंकि यह एक तथ्य है कि वह न केवल अन्य मामलों में शामिल थे, बल्कि उन पर एक हमला भी किया गया था, अपीलकर्ता को राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति देते हुए जमानत की शर्तों को संशोधित करना अनुचित होगा, क्योंकि इससे अपीलकर्ता से जुड़े इलाके में कानून और व्यवस्था की स्थिति और खराब होगी।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

उद्धव ठाकरे, अजित पवार के बाद CM शिंदे के बैग की तलाशी, जानिए नेताओं के पास क्या-क्या मिला

क्या महाराष्ट्र में चुनाव के बाद बदलेंगे राजनीतिक समीकरण, फिर चाचा शरद के साथ आ सकते हैं अजित पवार

न UPPSC झुकने को तैयार है और न ही प्रतियोगी छात्र, कैसे बनेगी बात?

कवि प्रदीप की पंक्तियों का सुप्रीम कोर्ट में उल्लेख, एक घर का सपना कभी ना छूटे

महाराष्ट्र चुनाव में स्व. इंदिरा गांधी की भी एंट्री, जानिए क्या कहा अमित शाह ने

सभी देखें

नवीनतम

दिल्ली: स्कूल बस में छात्रा से यौन दुर्व्यवहार, प्राथमिकी दर्ज

Weather Updates: पहाड़ी इलाकों में हुई बर्फबारी, अब पड़ेगी कड़ाके की ठंड, IMD ने किया अलर्ट

राजस्थान के टोंक में दूसरे दिन भी तनाव, पुलिस को नरेश मीणा की तलाश

LIVE: महाराष्ट्र में पीएम मोदी, राहुल गांधी की सभाएं, झारखंड में गरजेंगे अमित शाह

साइबर जालसाजों को बैंक खाता उपलब्ध कराने वाले गिरोह का भंडाफोड़, 4 गिरफ्तार

अगला लेख
More