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सुप्रीम कोर्ट में बोली सरकार, अगर सेना अपना मिसाइल लॉन्चर भारत-चीन सीमा तक नहीं ले जा सकती, जंग कैसे जीतेगी

हमें फॉलो करें सुप्रीम कोर्ट में बोली सरकार, अगर सेना अपना मिसाइल लॉन्चर भारत-चीन सीमा तक नहीं ले जा सकती, जंग कैसे जीतेगी
, शुक्रवार, 12 नवंबर 2021 (07:58 IST)
नई दिल्ली। केंद्र ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अगर सेना अपने मिसाइल लॉन्चर, भारी मशीनरी उत्तरी भारत-चीन सीमा तक नहीं ले जा सकती और अगर जंग छिड़ जाती है तो उस स्थिति में वह सीमा की सुरक्षा कैसे करेगी, लड़ेगी कैसे?
 
केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने चौड़ी चारधाम राजमार्ग परियोजना का समर्थन करते हुए कहा, 'ये दुर्गम इलाके हैं जहां सेना को भारी वाहन, मशीनरी, हथियार, मिसाइल, टैंक, सैनिकों और खाद्य आपूर्ति को लाने-लेजाने की आवश्यकता होती है। हमारी ब्रह्मोस मिसाइल 42 फीट लंबी है और इसके लॉन्चर ले जाने के लिए बड़े वाहनों की जरूरत है। अगर सेना अपने मिसाइल लॉन्चर और मशीनरी को उत्तरी चीन की सीमा तक नहीं ले जा सकती है, और अगर युद्ध होता है तो वह युद्ध कैसे लड़ेगी।'
 
उन्होंने कहा कि भगवान न करे अगर युद्ध छिड़ गया तो सेना इससे कैसे निपटेगी, अगर उसके पास हथियार नहीं हैं। हमें सावधान और सतर्क रहना होगा। हमें तैयार रहना है। हमारे रक्षा मंत्री ने भारतीय सड़क कांग्रेस में भाग लिया था और कहा था कि सेना को आपदा प्रतिरोधी सड़कों की जरूरत है।
 
इस परियोजना के निर्माण के कारण हिमालयी क्षेत्रों में भूस्खलन की चिंताओं को दूर करने की कोशिश करते हुए, सरकार ने कहा कि आपदा को कम करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए गए हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में भूस्खलन हुआ है और विशेष रूप से सड़क निर्माण से ही ऐसा नहीं होता है।
 
रणनीतक रूप से महत्वपूर्ण 12,000 करोड़ रुपए की लागत वाली 900 किलोमीटर लंबी चारधाम परियोजना का उद्देश्य उत्तराखंड के चार पवित्र शहरों - यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को हर मौसम में संपर्क के लिए तैयार करना है।
 
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की खंडपीठ ने रक्षा मंत्रालय की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है। मंत्रालय ने सड़क चौड़ीकरण को लेकर न्यायालय के पहले के आदेश और एक गैर सरकारी संगठन ‘सिटीजन फॉर ग्रीन दून’ की याचिका में संशोधन का अनुरोध किया है। न्यायालय ने उनसे क्षेत्र में भूस्खलन को कम करने के लिए उठाए गए कदमों और उठाए जाने वाले कदमों पर लिखित प्रस्तुतियां दर्ज कराने को कहा है।
 

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