रक्षा मंत्रालय ने भारत की तीनों सेनाओं के लिए बहुप्रतीक्षित 'अग्निपथ भर्ती योजना' की घोषणा कर दी है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और तीनों सेनाओं के प्रमुखों की मौजूदगी में इस योजना का 14 जून को एलान किया गया। इस योजना के तहत सेना में भर्ती युवाओं को 4 साल के लिए नियुक्ति दी जाएगी। 4 साल बाद इनमें से 25 फीसदी सैनिकों को स्थायी रूप से नियुक्ति प्रदान की जाएगी, जबकि शेष को सेवामुक्त कर दिया जाएगा। 4 साल में सेवामुक्त होने वाले सैनिक पेंशन के लिए पात्र नहीं होंगे।
वेतन और अन्य सुविधाएं : जानकारी के मुताबिक अग्निवीरों को 30 से 40 हजार रुपए का वेतन दिया जाएगा। इन्हें 4 साल की सेवा में 6 महीने की ट्रेनिंग शामिल रहेगी। इन्हें 48 लाख रुपए का इंश्योरेंस भी मिलेगा। यदि सेवा के दौरान सैनिक शहीद होता है तो उसके परिजनों को 1 करोड़ रुपए प्रदान किए जाएंगे। वहीं, दिव्यांगता की स्थिति में उसे 44 लाख रुपए दिए जाएंगे। 4 साल की सेवा के बाद इन सैनिकों को एक मुश्त रकम भी प्रदान की जाएगी।
रक्षामंत्री राजनाथ ने कहा कि विभिन्न मंत्रालयों से लेकर अन्य स्थानों पर इस तरह के सैनिकों को सेवामुक्ति के बाद नौकरी के लिए प्राथमिकता दी जाएगी। इस बारे में मंत्रालयों से बातचीत चल रही है और जल्द ही घोषणा की जाएगी। सैनिकों को 'अग्निवीर स्किल सर्टिफिकेट' भी मिलेगा। इससे उन्हें दूसरी नौकरी हासिल करने में मदद मिलेगी। 4 साल की सेवा के बाद समीक्षा की जाएगी और उनमें से करीब 25 फीसदी सैनिकों को स्थायी नियुक्ति प्रदान की जाएगी।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, 4 साल की सेवा की अवधि पूरी होने पर, 'अग्निवर' को एकमुश्त 'सेवानिधि' पैकेज का भुगतान किया जाएगा। इस पर इनकम टैक्स नहीं लगेगा। हालांकि 4 साल बाद सेवामुक्ति के बाद यह पेंशन के पात्र नहीं होंगे।
क्या है योजना का उद्देश्य : नई योजना का उद्देश्य तीनों सेवाओं के वेतन और पेंशन खर्च को कम करना है, जो तेजी से बढ़ा है। वर्ष 2022-23 के लिए 5,25,166 करोड़ रुपए के रक्षा बजट में रक्षा पेंशन के लिए 1,19,696 करोड़ रुपए शामिल हैं। राजस्व व्यय के लिए 2,33,000 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया था। राजस्व व्यय में वेतन के भुगतान और प्रतिष्ठानों के रख-रखाव पर खर्च शामिल है।
क्या पेंशन बचाने की योजना है? : इस योजना की घोषणा के साथ लोगों का यह भी सवाल है कि चूंकि 4 साल की सेवा के बाद सरकार को पेंशन नहीं देनी होगी। अत: यही ध्यान में रखते हुए यह योजना लाई गई है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इस बारे में कहा कि आर्म्ड फोर्सेस को 'सेविंग' की नजर से नहीं देखते। हमारा सबसे बड़ा लक्ष्य सीमाओं की सुरक्षा है और इसके लिए जितना भी खर्च करना पड़ेगा करेंगे। सिंह ने कहा कि इस शानदार स्कीम को संदेह की नजर से नहीं देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि सेना की यूथफुलनेस को ध्यान में रखकर यह फैसला लिया है।
स्टडी के बाद तैयार हुआ यह मॉडल : थल सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने कहा कि कई अन्य देशों के मॉडल के गहन अध्ययन के बाद इस मॉडल को लाया गया है। हालांकि हमने किसी की भी नकल नहीं की है। चीन का मॉडल हमारे मॉडल से पूरी तरह अलग है, जबकि पाकिस्तान का मॉडल हमारे वर्तमान मॉडल की तरह ही है।
पांडे ने कहा कि इन सैनिकों को ट्रेनिंग के बाद पाकिस्तान और चीन की सीमा पर भी तैनात किया जा सकता है। फिलहाल भारत की सेनाओं की औसत आयु 32 वर्ष है। इस स्कीम के लागू होने से यह 24 से 26 वर्ष ही रह जाएगी।