नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वपूर्ण वादे 'वर्ष 2022 तक सबको आवास' को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी में भारी बदलाव करते हुए निजी भूमि पर बने मकानों, निजी निर्माण कंपनियों के परिसरों और अन्य भवन निर्माण परियोजनाओं को वित्तीय मदद देने का फैसला किया है।
सूत्रों के अनुसार 'वर्ष 2022 तक सबको आवास' अभियान की समीक्षा के दौरान पाया गया कि यह अपेक्षित गति नहीं पकड़ सका है जिसके कारण निर्धारित समय में इसके लक्ष्यों को प्राप्त नहीं किया जा सकता इसलिए सरकार ने संबंधित नीति में बदलाव करने और निजी क्षेत्र को व्यापक रूप में इस अभियान में शामिल करने का फैसला किया है।
प्रधानमंत्री आवास योजना -शहरी के अंतर्गत अभी तक कुल 26 लाख 13 हजार 568 मकानों के लिए वित्तीय मदद मंजूर की गई है। इसके अंतर्गत वर्ष 2022 तक दो करोड़ शहरी परिवारों को पक्का मकान उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है।
इस बीच केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सस्ते आवास के लिए गृह ऋण के ब्याज पर दो लाख 60 हजार रुपए तक की सब्सिडी देने की योजना की अवधि 15 महीने बढ़ाते हुए मार्च 2019 तक करने की घोषणा कर दी है। पहले इस योजना की अवधि इस वर्ष दिसंबर में समाप्त हो रही थी।
शहरों में रिक्त भूमि की कमी को देखते हुए प्रधानमंत्री आवास योजना - शहरी का दायरा गांवों तक पहुंचाने का निर्णय किया गया है। इसके लिए शहरों की सीमा पर बसे गांवों में भी योजना के तहत मदद देने के लिए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के साथ बात की जा रही है।
केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने प्रधानमंत्री आवास योजना- शहरी में सरकारी निजी भागीदारी को अनुमति देने के अलावा निजी भूखंडों पर बनने वाले मकानों को भी वित्तीय मदद देने की नीति बनाई है।
नई नीति के अनुसार निजी भूमि पर भी मकान बनाने के लिए अब प्रति मकान 2.50 लाख रुपए तक की केंद्रीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। शहरी क्षेत्रों में सरकारी भूमि पर क्रियान्वित होने वाली सस्ते आवास परियोजनाओं में निजी निवेश की संभावनाएं भी काफी हद तक बढ़ जाएंगी। (वार्ता)