Cough syrup case : मध्यप्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप पीने के कारण 9 से 11 बच्चों की मौत की खबर के बाद सरकार ने कहा कि बच्चों में कफ सिरप का अंधाधुंध उपयोग खतरनाक साबित हो सकता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के डीजीएचएस (DGHS) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक परामर्श जारी किया है। इस परामर्श में बच्चों को खांसी की दवा सोच-समझकर और सावधानी से देने की सलाह दी गई है। एडवाइजरी में कहा गया है कि ज़्यादातर बच्चों में खांसी-जुकाम अपने आप ठीक हो जाते हैं और इसके लिए दवा की जरूरत नहीं होती।
खबरों के अनुसार, कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत के बाद सरकार ने कहा कि बच्चों में कफ सिरप का अंधाधुंध उपयोग खतरनाक साबित हो सकता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के डीजीएचएस (DGHS) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक परामर्श जारी किया है।
इस परामर्श में बच्चों को खांसी की दवा सोच-समझकर और सावधानी से देने की सलाह दी गई है। एडवाइजरी में कहा गया है कि ज़्यादातर बच्चों में खांसी-जुकाम अपने आप ठीक हो जाते हैं और इसके लिए दवा की जरूरत नहीं होती।
स्वास्थ्य मंत्रालय की एडवाइजरी में कहा गया कि माता-पिता खास इस बात का ध्यान रखें कि अगर बच्चा 2 साल से कम है तो उसे खांसी-जुकाम की दवा बिलकुल न दी जाए। इसके लिए स्पेशलिस्ट डॉक्टर को दिखाना जरूरी है। वहीं 5 साल से छोटे बच्चों को भी ये दवाएं आमतौर पर नहीं दी जाती है। 5 साल से ऊपर के बच्चों को दवा तभी दी जाए जब डॉक्टर क्लिनिकल जांच करके ज़रूरी समझें।
एडवाइजरी में कहा गया है कि सभी अस्पतालों,दवा दुकानों और स्वास्थ्य केंद्रों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे सिर्फ गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस (GMP) के तहत बनी और सुरक्षित दवाएं ही खरीदें और बच्चों को दें। स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों और जिलों के स्वास्थ्य अधिकारियों से कहा है कि इस एडवाइजरी को सरकारी अस्पतालों,प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHC) सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHC), जिला अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों तक पहुंचाया जाए।
एडवाइजरी में कहा गया है कि दवाओं में केवल फार्मास्यूटिकल ग्रेड सामग्री का उपयोग हो। डॉक्टरों और फार्मासिस्टों को सही परामर्श और दवा देने के नियमों के प्रति जागरूक किया जाए। बच्चों को पर्याप्त पानी और तरल पदार्थ, आराम करने की सलाह और घरेलू और सहयोगी उपायों जैसे भाप लेना, गुनगुना पानी पीने की सलाह दें।
मध्य प्रदेश खांसी की कई दवाओं के सैंपल लिए गए। जांच में पाया गया कि किसी भी सैंपल में डायएथिलीन ग्लाइकोल (DEG) या एथिलीन ग्लाइकोल (EG) जैसे हानिकारक रसायन मौजूद नहीं थे। बच्चों की मौत के मामले में एक केस में लेप्टोस्पायरोसिस मिला है जिसकी जांच जारी है।
शुरुआती जांच रिपोर्ट में कफ सिरप को क्लीन चिट मिलने के बाद अब सवाल यह है बच्चों की मौत का कारण क्या था? इस पर जिम्मेदारी के साथ फिलहाल किसी के पास कोई जवाब नहीं है। अधिकारियों को कहना है कि जांच अभी जारी है। बच्चों की मौत की खबर से लोग डरे हुए हैं कि आखिर जान बचाने वाली दवा ही जहर क्यों बन रही? बच्चों की मौत के बाद सरकार ने पूरे बैच पर रोक लगा दी है।
Edited By : Chetan Gour