बेंगलुरु। कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी आज बहुमत परीक्षण का सामना करेंगे और ऐसी उम्मीद है कि राज्य में दस दिनों की राजनीतिक अस्थिरता का अंत हो जाएगा। जद (एस)-कांग्रेस-बसपा गठबंधन के नेता कुमारस्वामी ने बुधवार को विपक्ष के तमाम बड़े नेताओं की मौजदूगी में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
कांग्रेस के 78 विधायक हैं जबकि कुमारस्वामी की जद(एस) के 36 और बसपा का एक विधायक है। गठबंधन ने केपीजेपी के एकमात्र विधायक और एक निर्दलीय विधायक के समर्थन का भी दावा किया है। कुमारस्वामी ने दो सीटों पर जीत दर्ज की थी। भाजपा के बीएस येदियुरप्पा ने 17 मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, लेकिन सदन में विश्वास मत हासिल करने से पहले ही उन्होंने इस्तीफा देने की घोषणा कर दी थी।
शपथ लेने के बाद कुमारस्वामी ने विश्वास मत हासिल किए जाने के बारे में विश्वास जताया था लेकिन उन्होंने आशंका भी जताई थी कि उनकी सरकार को गिराने के लिए भाजपा ऑपरेशन कमल दोहराने का प्रयास कर सकती है। ऑपरेशन कमल या ऑपरेशन लोटस नाम के शब्द 2008 में उस वक्त इस्तेमाल किए गए थे जब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद संभाला था। पार्टी को साधारण बहुमत के लिए तीन विधायकों की दरकार थी।
ऑपरेशन कमल के तहत कांग्रेस और जद (एस) के कुछ विधायकों को भाजपा में शामिल होने के लिए राजी किया गया था। उनसे कहा गया था कि वे विधानसभा की अपनी सदस्यता छोड़कर फिर से चुनाव लड़ें। उनके इस्तीफे की वजह से विश्वास मत के दौरान जीत के लिए जरूरी संख्या कम हो गई थी और फिर येदियुरप्पा विश्वास मत जीत गए थे। भाजपा ने विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए आज अपने वरिष्ठ नेता और पांच बार के विधायक एस सुरेश कुमार को उतारा है।
कांग्रेस के रमेश कुमार ने सत्तारुढ़ गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में इस पद के लिए अपना नामांकन भरा। भाजपा उम्मीदवार ने कहा, संख्या बल और कई अन्य कारकों के आधार पर हमारी पार्टी के नेताओं को विश्वास है कि मैं जीतूंगा। इसी विश्वास के साथ मैंने नामांकन दाखिल किया है। यह पूछने पर कि भाजपा के केवल 104 विधायक हैं तो ऐसे में उनके जीतने की संभावना क्या है, सुरेश कुमार ने कहा, मैंने नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है।
आज दोपहर सवा बारह बजे चुनाव है। चुनाव के बाद आपको पता चल जाएगा। कांग्रेस विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने गठबंधन उम्मीदवार की जीत के बारे में विश्वास जताया। उन्होंने कहा, मुझे पता चला है कि भाजपा ने भी नामांकन दाखिल किया है। मुझे उम्मीद है वे नामांकन वापस ले लेंगे। यदि चुनाव होता है तो रमेश कुमार की जीत निश्चित है। हालांकि कुमारस्वामी के विश्वास मत हासिल करने की संभावना है और उनके लिए मंत्रिमंडल का विस्तार मुश्किल साबित होने वाला है।
ऐसा बताया जा रहा है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डीके शिवकुमार उपमुख्यमंत्री पद के लिए उनकी अनदेखी किए जाने से खुश नहीं हैं। पार्टी ने दलित चेहरा जी परमेश्वर को उपमुख्यमंत्री बनाया है। शिवकुमार ने कहा था, क्या यह उन लोगों के लिए एक समान है जो एक सीट जीतते हैं और या जो राज्य जीतते है। मैं संन्यास लेने के लिए राजनीति में नहीं आया हूं। मैं शतरंज खेलूंगा फुटबॉल नहीं।
परमेश्वर ने आज कहा कि गठबंधन को मुख्यमंत्री के रूप में जद(एस) नेता के कार्यकाल पर अभी चर्चा करनी है। जब उनसे यह पूछा गया कि क्या कुमारस्वामी पूरे पांच वर्ष के कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री बने रहेंगे तो उन्होंने इसके जवाब में कहा, हमने अभी तक इन पर चर्चा नहीं की है। (भाषा)