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Hathras Case: भारी सुरक्षा के बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट के लिए निकला पीड़िता का परिवार, हो सकता है बड़ा फैसला

हमें फॉलो करें Hathras Case: भारी सुरक्षा के बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट के लिए निकला पीड़िता का परिवार, हो सकता है बड़ा फैसला

अवनीश कुमार

, सोमवार, 12 अक्टूबर 2020 (08:29 IST)
लखनऊ। उत्तरप्रदेश में आज का दिन बेहद महत्वपूर्ण दिन है और जहां हाथरस कांड (Hathras Case) का पीड़ित पक्ष लखनऊ के लिए रवाना हो चुका है तो वहीं उत्तरप्रदेश सरकार हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखने के लिए भी तैयारियां भी पूरी कर ली हैं।

उत्तरप्रदेश सरकार की तरफ से हाईकोर्ट में पक्ष रखने के लिए मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी, डीजीपी हितेशचंद्र अवस्थी, एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार, हाथरस के डीएम प्रवीण कुमार लक्षकार और एसपी हाथरस सुनवाई के दौरान कोर्ट में मौजूद रहेंगे।
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स्वत: संज्ञान लेने के बाद हाईकोर्ट पहले ही जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन पर सवाल खड़े कर चुका है तो वहीं पीड़ित पक्ष के बयान के बाद हाईकोर्ट आज कोई बड़ा निर्णय भी ले सकता है। बताते चलें कि हाईकोर्ट के निर्देश के बाद आज सुबह पीड़ित परिवार के 5 लोग भारी सुरक्षा के बीच लखनऊ के लिए रवाना हो गए हैं।

लखनऊ में इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच में 2 जजों की पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी। मामले की सुनवाई दोपहर 2.15 बजे होनी है। जहां उप्र सरकार हाथरस मामले अपना पक्ष रखेगी तो वहीं पीड़ित परिवार भी हाईकोर्ट को पूरे घटनाक्रम से अवगत कराएगा।
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हाथरस कांड में पीड़ित पक्ष के बयान के बाद हाईकोर्ट कोई बड़ा निर्णय भी ले सकती है। हाईकोर्ट पहले ही जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर चुका है। हाईकोर्ट जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली से बेहद नाराज हैं।

जस्टिस राजन रॉय और जसप्रीत सिंह की बेंच ने 11 पेज के ऑर्डर में तमाम अख़बारों की उन कतरनों का संज्ञान लिया जिसमें कहा गया है कि पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया गया। रीढ़ की हड्डी टूटी, जीभ काटी गई और शव को आधी रात में परिवार की अनुमति के बिना जबर्दस्ती जला दिया गया।

कोर्ट ने कहा हमें पता चला है कि रात में दो-ढाई बजे पीड़िता का अंतिम संस्कार किया गया वह भी परिवारवालों की ग़ैर-मौजूदगी में। पीड़िता का परिवार हिन्दू धर्म का पालन करते हैं जिसके तहत सूर्यास्त के बाद अंतिम संस्कार नहीं किया जाता। ऐसे बहुत से सवाल है जिसका जवाब आज यूपी सरकार को कोर्ट में देना होंगे।

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