नई दिल्ली। सरकार ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें माल व सेवा कर (जीएसटी) के करदाताओं का विभाजन उनकी भौगोलिक स्थिति और प्रकार को ध्यान में रखते हुए करेंगी। यह विभाजन कंप्यूटर आधारित होगा, जिसमें नमूनों का चयन बेतरतीब तरीके से किया जाएगा।
जीएसटी परिषद सचिवालय ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और केंद्रीय कर के प्रधान आयुक्तों को भेजे परिपत्र में करदाताओं के विभाजन के संबंध में दिशानिर्देश दिया। यह विभाजन करदाताओं के कुल कारोबार पर आधारित होगा ताकि नए कर ढांचे के तहत एक ही इंटरफेस की आश्वस्ति हो सके।
इसके अनुसार, 1.5 करोड़ रुपए से कम के वार्षिक कारोबार वाले करदाताओं में 90 प्रतिशत करदाताओं का नियंत्रण राज्य सरकार के पास होगा। शेष 10 प्रतिशत का नियंत्रण केंद्र सरकार के पास होगा। 1.5 करोड़ रुपए से अधिक कारोबार वाले करदाताओं का बंटवारा केंद्र एवं राज्य सरकार के बीच आधा-आधा होगा।
परिपत्र में कहा गया, करदाताओं का विभाजन प्रत्येक राज्य में कंप्यूटर के द्वारा होगा तथा यह नमूनों के बेतरतीब चयन पर आधारित होगा। इसमें भौगोलिक स्थिति या करदाताओं के प्रकार में से किसी एक को ध्यान में रखा जाएगा, जिसके ऊपर दोनों पक्ष सहमत होंगे उसको ही आधार बनाया जाएगा।
जीएसटी परिषद सचिवालय ने कहा कि राज्य स्तरीय समिति जिसमें संबंधित राज्यों के मुख्य सचिव या सचिव तथा केंद्रीय कर आयुक्त शामिल हैं, पहले ही केंद्र और राज्यों के बीच प्रभावी तालमेल कायम करने की स्थिति में हैं। उसने कहा, समिति अब प्रत्येक राज्यों में करदाताओं के विभाजन के लिए आवश्यक कदम उठा सकती हैं। जीएसटी नेटवर्क पोर्टल पर अब तक 86 लाख से अधिक करदाता पंजीकृत हैं। (भाषा)