नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि नोटबंदी के बाद बैंकिंग प्रणाली में वापस लौटी नकदी का इस्तेमाल समाज के कमजोर तबके के कल्याण के लिए किया जाना चाहिए। सरकार ने पिछले साल नवंबर में 500 और 1,000 के नोटों पर प्रतिबंध लगा दिया था।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें यह समझ नहीं आ रहा है कि क्यों कुछ लोग 99 प्रतिशत नकदी के वापस लौटने को लेकर आलोचना कर रहे हैं। सरकार ने पिछले साल नवंबर में 500 और 1,000 के नोटों पर प्रतिबंध लगा दिया था।
नायडू ने सवाल किया, क्या यह अच्छा नहीं है कि पैसा बैंकों के पास वापस आ गया। बजाय बेडरूम, बाथरूम या तकिए में मिलने के बजाय पैसा बैंकों के पास वापस आया है। यह खुशी की बात है।
नायडू ने यहां ‘एससी-एसटी हब कॉन्फ्लूएंस’ को संबोधित करते हुए कहा, मुझे हैरानी है कि कुछ लोग इसकी आलोचना कर रहे हैं। मुझे समझ नहीं आता कि वे ऐसा क्यों कर रहे हैं। पैसा बैंकों के पास आ गया है और अब इसे समाज के कमजोर तबके तक पहुंचाया जाना चाहिए।
सरकार ने इसे शीर्ष प्राथमिकता पर रखा है। उन्होंने कहा कि यह धारणा गलत है कि गरीब कर्ज नहीं चुकाते हैं। विजय माल्या की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि सिर्फ अमीर ही करों की चोरी करते हैं।
उपराष्ट्रपति ने कहा, यह गलत धारणा बनी हुई है कि यदि आप गरीबों को ऋण देते हैं तो वे इसकी वापसी नहीं करते। आपने देखा होगा कि सिर्फ अमीर लोग ही करों की चोरी करते हैं। नायडू ने कहा कि 'सबका साथ, सबका विकास' सिर्फ बिगुल फूंकने जैसा नहीं है बल्कि चौतरफा विकास के लिए बहुस्तरीय रुख अपनाने की जरूरत है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि स्कूलों और रोजगार में आरक्षण या प्रवेश देना ही काफी नहीं है। समाज के पिछड़े तबके का नामांकन किया जाना चाहिए और उन्हें मदद मुहैया कराई जानी चाहिए, अन्यथा असमानता और बढ़ेगी।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने कहा कि बैंक स्वायत्त निकाय है, लेकिन इसके बावजूद वित्त मंत्रालय उनसे एससी-एसटी उद्यमियों को आगे बढ़कर कर्ज देने को कहेगा। (भाषा)