नई दिल्ली। कांग्रेस ने 109 रेल मार्गों पर ट्रेन चलाने के लिए निजी इकाइयों को अनुमति दिए जाने के फैसले को लेकर गुरुवार को सरकार पर कोरोना संकट के समय रेलवे का निजीकरण करने का आरोप लगाया और सवाल किया कि आखिर इस विषय पर संसद में चर्चा कराने या मंजूरी लेने का इंतजार क्यों नहीं किया गया? पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने यह दावा भी किया कि अब दूसरे रेलमार्गों को भी निजी हाथों में सौंपा जाएगा।
उन्होंने वीडियो लिंक के माध्यम से संवाददाताओं से कहा, ‘रेलवे लगभग ढाई करोड़ लोगों को यात्रा करवाता है। यानी ऑस्ट्रेलिया की आबादी के बराबर लोग रेलवे के माध्यम से यात्रा करते हैं। रेलवे रोजगार देने के मामले में सातवें नंबर पर आता है। भारतीय रेल का नेटवर्क दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा है।’
सिंघवी ने सवाल किया, ‘हमें आश्चर्य होता है कि किस प्रकार की जिद चल रही है? कोरोना वायरस संकट के समय क्या यह काम करने जरूरी है? क्या रेलवे का निजीकरण करने से इस वक्त देश को फायदा होगा? क्या इस वक्त निविदा में जो राशि मांगी गई है, उसमें से न्यूनतम भी मिलेगा?’
उन्होंने कहा, ‘इस बारे में संसद में विचार कर लेते। हम तो कहते हैं कि कानून पारित करवा लेते, लेकिन कम से कम चर्चा तो करवा लेते, एक प्रस्ताव तो पारित करवा लेते। सरकार पतली गली से क्यों निकल रही है? सरकार इतनी जल्दी में क्यों हैं?’
कांग्रेस नेता ने यह सवाल भी किया, ‘कोरोना संकट के बीच इस कदम का मकसद क्या आगे कर्मचारियों की छंटनी करना है? निजी इकाई उस मार्ग पर कैसे मुनाफा कमाएगी जब रेलवे को नुकसान हो रहा है?' उन्होंने कहा, ‘देश इस बारे में जवाबदेही मांगता है। चुप्पी से काम नहीं चलेगा।’
गौरतलब है कि रेलवे ने बुधवार को अपने नेटवर्क पर यात्री ट्रेनें चलाने के लिए निजी इकाइयों को अनुमति देने की योजना पर औपचारिक रूप से कदम उठाया। इसके तहत यात्री रेलगाड़ियों की आवाजाही को लेकर 109 मार्गों पर 151 आधुनिक ट्रेनों के जरिए परिचालन के लिए पात्रता अनुरोध आमंत्रित किए गए हैं। रेलवे ने कहा कि इसमें निजी क्षेत्र से करीब 30,000 करोड़ रुपए का निवेश होगा। (भाषा)