Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

घटते ग्लेशियरों ने बढ़ाई चिंता

हमें फॉलो करें घटते ग्लेशियरों ने बढ़ाई चिंता
, बुधवार, 12 जुलाई 2017 (18:03 IST)
इसरो के वैज्ञानिकों का कहना है कि हिमालय का मुख्य ग्लेशियर 1965 के बाद 4340 मीटर सिकुड़ गया है। इसके साथ ही ग्लेशियर के कई हिस्सों में बंटने के कारण ग्लेशियर का 10 फीसदी हिस्सा गायब हो गया है। ग्लेशियर भी छोटे-छोटे हिस्सों में बंट गया है।
  
हिमालय में ऐवरेस्ट-खुम्बू क्षेत्र में खुम्बू ग्लेशियर दुनिया में सबसे बड़ा था लेकिन ताजा शोध के मुताबिक हिमालय के ग्लेशियर बड़ी तेजी से सिकुड़ते जा रहे हैं। ग्लेशियर विज्ञानियों का कहना है कि हिमालय में वैश्विक तापमान की तुलना में आठ गुना तेजी आई है जो कि इस बात का संकेत है कि गढ़वाल हिमालय क्षेत्र में सैटेलाइटों से मिली तस्वीरों से पता लगता है कि 1965 के बाद से गढ़वाल हिमालय के भिलंगना बेसिन में यह तेजी विशेष से चिंताजनक है।   
 
इसरो के वैज्ञानिकों का कहना है कि एक समय पर हिमालयीन इलाके में दुनिया में ध्रुवीय क्षेत्रों की तुलना में सबसे ज्यादा, 9575 ग्लेशियर थे। बर्फ और ग्लेशियरों से पिघला पानी की मात्रा में तेजी आने के बाद दो ‍बड़ी नदियों सिंधु और गंगा के बेसिनों का आकार बहुत बड़ा हो गया है।  
 
विदित हो कि भिलंगना बेसिन उत्तर और पश्चिम के भगवती ग्रुप के ग्लेशियरों से जुड़े थे और इसके पूर्व में मंदाकिनी ग्रुप के ग्लेशियरों से जुड़े थे। यह बेसिन आजकल 33 ग्लेशियरों में पानी लाता है जिनमें से खातलिंग सबसे बड़ा है। खातलिंग और इसके सहायक ग्लेशियरों का पानी सहायक ग्लेशियरों का पानी भिलंगना नदी में मिलता है। उल्लेखनीय है कि भिलंगना नदी भागीरथी की दक्षिणी के क्षेत्र की सहायक नदी है।
 
इसरो के वैज्ञानिकों ने पाया कि वर्ष 1965 की तुलना में 4340 मीटर तक सिकुड़ गया है। वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि यह घाटी बहुत सारे ग्लेशियरों में बदल गई है और इसके परिणामस्वरूप ग्लेशियर के क्षेत्र में 10 फीसदी भाग में कमी आई है। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

आईएसआईएस का संदिग्ध गुर्गा दिल्ली में गिरफ्तार