रक्तचाप और मधुमेह जैसी आम हो चलीं बीमारियों को भी आनुवांशिक बीमारी बता बीमा दावा खारिज करने वाली बीमा कंपनियों को इरडा ने बड़ा झटका दिया है। भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) ने सोमवार को बीमा कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे किसी भी बीमाधारक के बीमा दावे को 'आनुवांशिक बीमारी' के नाम पर खारिज नहीं कर सकतीं। इतना ही नहीं, नियामक ने यह भी कहा है कि बीमा कंपनियां नए ग्राहकों के लिए भी 'आनुवांशिक बीमारियों' को बीमा दायरे से बाहर वाली बीमारियों की सूची में नहीं रखेंगी।
इरडा का यह निर्देश दिल्ली उच्च न्यायालय के उस फैसले के बाद आया है जिसमें न्यायालय ने कहा था कि कंपनियों द्वारा बीमा दायरे से बाहर रखी गई 'आनुवांशिक बीमारियों' की सूची बेहद विस्तृत, अस्पष्ट और भेदभावपूर्ण है। न्यायालय के मुताबिक यह सूची संविधान की धारा 14 के तहत समानता के अधिकार का भी उल्लंघन है।
बीमा कंपनियों को भेजे पत्र में इरडा ने कहा कि उच्च न्यायालय के फैसले के आलोक में स्वास्थ्य बीमा मुहैया कराने वाली कंपनियों को निर्देश दिया जाता है कि वे किसी भी बीमा दावे को 'आनुवांशिक बीमारी' के नाम पर खारिज नहीं कर सकतीं। गौरतलब है कि पिछले महीने दिल्ली उच्च न्यायालय ने इरडा से बीमा कंपनियों द्वारा बीमा दायरे से बाहर रखी गईं बीमारियों की दोबारा समीक्षा करने का निर्देश दिया था।
न्यायालय ने इरडा को यह भी सुनिश्चित करने को कहा था कि दिल की बीमारियों, उच्च रक्तचाप या मधुमेह जैसी आम बीमारियों को भी 'आनुवांशिक बीमारी' के नाम पर बीमा दावे से बाहर नहीं रखा जाए। अपने फैसले में न्यायालय ने यह भी कहा था कि 'आनुवांशिक बीमारी' के नाम पर किसी को बीमा सुविधा से वंचित रखना न केवल भेदभावपूर्ण, बल्कि जननीति के भी खिलाफ है।