नई दिल्ली। तीन दिन पहले वाराणसी से अपने पहले सफर पर निकला दुनिया का सबसे लंबा रिवर क्रूज 'एमवी गंगा विलास' किसी व्यवधान के बगैर अपने निर्धारित कार्यक्रम के अनुरूप सोमवार को पटना पहुंच गया। सरकार ने क्रूज के छपरा में फंसने की खबरों को खारिज करते हुए यह जानकारी दी।
इससे पहले भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) के चेयरमैन संजय बंद्योपाध्याय ने भी उन खबरों को खारिज कर दिया था, जिनमें कहा गया था कि क्रूज छपरा में फंस गया है। उन्होंने क्रूज के पटना समय पर पहुंचने की जानकारी देते हुए कहा था कि यह क्रूज आगे के सफर पर भी अपने पूर्व-निर्धारित कार्यक्रम के अनुरूप ही आगे बढ़ेगा।
बंदरगाह, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने बताया कि क्रूज पोत अपने निर्धारित समय पर राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या एक पर रवाना हुआ।
मंत्रालय ने कहा कि इन खबरों में कोई सच्चाई नहीं है कि क्रूज छपरा में फंस गया है। लंगर डालने और तट पर परिवहन का साधन तय करने का अधिकार क्रूज संचालक के ही पास होता है।
बंद्योपाध्याय ने इस क्रूज के छपरा में गंगा नदी की तलहटी में फंस जाने को लेकर आई खबरों को पूरी तरह नकारते हुए कहा कि यह क्रूज अपने तय कार्यक्रम के अनुरूप पटना पहुंच गया है।
उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि गंगा विलास निर्धारित कार्यक्रम के हिसाब से पटना पहुंच गया। इस खबर में कोई सच्चाई नहीं है कि क्रूज छपरा में फंस गया था। इसकी आगे की यात्रा भी तय कार्यक्रम के मुताबिक ही आगे बढ़ेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस क्रूज को हरी झंडी दिखाकर वाराणसी से रवाना किया था। गंगा विलास क्रूज 51 दिनों के अपने लंबे सफर में 3,200 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए बांग्लादेश के रास्ते असम के डिब्रूगढ़ पहुंचेगा।
इस आलीशान रिवर क्रूज का निर्माण देश में ही हुआ है और यह तमाम सुख-सुविधाओं से लैस है। हालांकि इसका सफर करने की मंशा रखने वाले को 50-55 लाख रुपए का किराया देना होगा। इतने महंगे किराए के बावजूद अगले साल मार्च तक की टिकट बुक हो चुकी हैं। भाषा Edited by Sudhir Sharma