वाराणसी। धर्म नगरी काशी में बाबा विश्वनाथ के विस्तारित स्वरूप काशी विश्वनाथ धाम की पहली वर्षगांठ पर भव्य उत्सव का आयोजन किया गया। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 दिसंबर 2021 को काशी कॉरिडोर का लोकार्पण किया था। पहली वर्षगांठ पर मंदिर में सुबह से हवन-पूजन और विविध धार्मिक कार्यक्रम आयोजित हुए।
मंदिर प्रशासन की ओर से जहां धाम की भव्य सजावट की गई, वहीं श्रद्धालुओं के लिए भी कॉरिडोर में विशेष इंतजाम किए गए। इस परियोजना की विशालता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह परियोजना लगभग 5 लाख वर्गफुट के विशाल क्षेत्र में फैली हुई है, जबकि पहले संबंधित परिसर तकरीबन 3000 वर्गफुट तक ही सीमित था। कोरोनावायरस (Coronavirus) महामारी के बावजूद इस परियोजना का निर्माण कार्य निर्धारित समय में ही पूरा कर लिया गया।
भारतीय संस्कृति के उत्थान की परिकल्पना : काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण का एक वर्ष पूरा होने पर धाम परिसर में बने त्रयंबकेश्वर हॉल में आयोजित विद्वत संगोष्ठी में काशी के विद्वानों ने इस भव्य विकास के लिए केंद्र सरकार की सराहना की। कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक मंगलाचरण से हुई। इस धाम की परिकल्पना को भारतीय संस्कृति के उत्थान का एक नया कदम माना जा रहा है। यह धाम अपनी भव्यता और दिव्यता के माध्यम से भारत के समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संजो रहा है।
1 साल में 7 करोड़ से ज्यादा पहुंचे श्रद्धालु : लोकार्पण के बाद से लेकर अब तक मंदिर में 7.35 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किया है। बता दें कि धाम परिसर के चारों द्वार पर लगे हेड स्कैनिंग मशीन के जरिए नियमित अंतराल पर श्रद्धालुओं की गिनती की जाती है। लोकार्पण के बाद श्री काशी विश्वनाथ धाम आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या कुल 7 करोड़ 35 लाख 82 हजार 42 श्रद्धालुओं ने मंदिर में दर्शन किया है।
100 करोड़ से अधिक का आया चढ़ावा : काशी विश्वनाथ धाम ने अपने पहले ही साल में चढ़ावे के सभी रिकॉर्ड को तोड़ दिया है। वहीं बीते एक साल में देश-दुनिया से काशी विश्वनाथ दरबार के दर्शन के लिए आए शिवभक्तों ने दिल खोलकर बाबा के दरबार में नकदी, सोना, चांदी और अन्य धातुओं का चढ़ावा चढ़ाया है। मंदिर प्रशासन के आकलन के अनुसार चढ़ावे का कुल मूल्य 100 करोड़ रुपए से भी ज्यादा का है।
सोना, चांदी से भरा बाबा का दरबार : काशी विश्वनाथ मंदिर के लोकार्पण से अब तक श्रद्धालुओं द्वारा लगभग 50 करोड़ से अधिक की नकदी दान की गई है। इसमें से 40 प्रतिशत धनराशि ऑनलाइन सुविधाओं के उपयोग से प्राप्त हुई है।
वहीं श्रद्धालुओं द्वारा लगभग 50 करोड़ से अधिक की बहुमूल्य धातु (60 किलो सोना, 10 किलो चांदी और 1500 किलो तांबा) भी है। मंदिर प्रशासन के अनुसार, 13 दिसंबर, 2021 से लेकर अब तक श्रद्धालुओं द्वारा 100 करोड़ रुपए से अधिक का दान किया गया है, जो मंदिर के इतिहास में सर्वाधिक है। साथ ही पिछले वर्ष की तुलना में ये राशि लगभग 500 प्रतिशत से अधिक है।
4 से 5 साल में निकल जाएगा निर्माण का खर्च : इस भव्य कॉरिडोर के निर्माण और मुआवजे में तकरीबन 900 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। आने वाले समय में धाम में सुविधाओं के विस्तार से भक्तों की संख्या बढ़ना निश्चित है, जिससे शिवभक्तों की ओर से चढ़ावा भी बढ़ेगा। मंदिर में चढ़ावे के अलावा कॉरिडोर में बने भवनों से भी अतिरिक्त आय होगी। माना जा रहा है कि कॉरिडोर की लगात अगले चार से पांच साल में भक्तों के चढ़ावे और परिसर में नवनिर्मित भवनों से होने वाली आय से पूरी कर ली जाएगी।
मंदिर में बढ़ी श्रद्धालुओं की सुविधा : कॉरिडोर के लोकार्पण के बाद मंदिर न्यास द्वारा श्रद्धालुओं की सुविधाओं में लगातार बेहतरी का प्रयास किया गया है। पीने के पानी की व्यवस्था, छाया की व्यवस्था, मैट व अन्य मूलभूत सुविधाओं के साथ-साथ साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया गया है। इसके अलावा लॉकर, हेल्प डेस्क स्थापित किए गए हैं। मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले वृद्ध व दिव्यांगजनों की सुविधा के लिए व्हील चेयर की व्यवस्था की गई है।
वाराणसी में बढ़े पर्यटक : काशी विश्वनाथ धाम का नया भव्य स्वरूप होने के कारण वाराणसी में पर्यटकों व दर्शनार्थियों की संख्या बढ़ी है। इसकी वजह से परिवहन, होटल, गेस्टहाउस, नाविकों, श्रमिकों, वस्त्र उद्योग, हैंडीक्राफ्ट व अन्य व्यवसाय से अर्थव्यवस्था भी रफ्तार पकड़ रही है। आंकड़ों की बात की जाए तो पहले एक साल में काशी में लगभग 1 करोड़ पर्यटक आते थे, अब एक महीने में ही इतने पर्यटक वाराणसी आ रहे हैं।