Jammu and Kashmir News : इस महीने की 31 तारीख को रिटायर होने जा रहे जम्मू-कश्मीर पुलिस के महानिदेशक दिलबाग सिंह के उन दावों के पीछे एक चिंता का भाव भी छिपा हुआ है। दरअसल वे कश्मीर घाटी में आतंकी हिंसा और आतंकवादी बनने के आकर्षण के कम होने के बावजूद विदेशी आतंकियों के बड़ी संख्या में एक्टिव होने से चिंतित हैं।
इसे आंकड़ों के माध्यम से समझते हैं। दावानुसार, कश्मीर में इस साल अभी तक 10 युवा आतंकी बने हैं। इनमें से 6 को मार गिराया जा चुका है जबकि वर्ष 2023 में कुल मरने वाले आतंकियों की संख्या 66 है। ऐसे में यह स्पष्ट है कि वर्ष 2023 में 60 विदेशी आतंकी मारे गए, जिनका संबंध पाकिस्तान, पाक कब्जे वाले कश्मीर और अफगानिस्तान से था।
जम्मू-कश्मीर के पुलिस प्रमुख दिलबाग सिंह के अनुसार इस साल 10 स्थानीय युवा आतंकी गुटों में भर्ती हुए, इनमें से 6 आतंकियों का सफाया किया जा चुका है। जानकारी के लिए 2019 में 119 युवा आतंकी बने थे, 2020 में 167 युवाओं ने आतंक का दामन था। वर्ष 2021 में 128 और 2022 में 100 युवा आतंकी गुटों में भर्ती हुए थे।
इतना जरूर था कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद आधिकारिक तौर पर पांच साल में कश्मीर में आतंकवादी हमलों में आम नागरिकों के मारे जाने के मामलों में 77 परसेंट तक की कमी दर्ज की गई है। आंकड़ों के मुताबिक, इस साल अभी तक 22 सुरक्षाकर्मियों की जानें गई हैं और 10 नागरिक भी मारे गए हैं, जबकि पिछले साल यह संख्या क्रमशः 30-30 थी।
सिर्फ मरने वाले आतंकियों के आंकड़े ही परेशानी का कारण नहीं हैं, बल्कि एक्टिव आतंकियों की संख्या भी अभी चिंता का कारण है। हालांकि पुलिस महानिदेशक कहते थे कि कश्मीर में इस समय जो आतंकी एक्टिव हैं, वे मुट्टीभर हैं, पर विभिन्न सूत्र इनकी संख्याएं अलग-अलग बताते हैं, जो कि 60 से 300 के बीच है।
चिंता यहीं खत्म नहीं हो जाती है। सेना, बीएसएफ और अन्य गुप्तचर संस्थाएं लगातार दावा कर रही हैं कि पाक सेना 500 से 1000 के बीच आतंकियों को इस ओर धकेलने को उतावली है। इनमें कई वे कश्मीरी युवक भी हैं जो अब उम्र के एक पड़ाव पर पहुंच चुके हैं और वे पिछले कई सालों से पाक सेना के लिए बोझ बने हुए हैं। याद रहे एलओसी पर हाल में मारे गए कई आतंकी 50 की उम्र के पार के भी थे।