नई दिल्ली। दिल्ली के अनुसूचित जाति एवं जनजाति विभाग के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से आग्रह किया कि वे जाति और लिंग के आधार पर एम्स की एक महिला रेजीडेंट डॉक्टर के कथित उत्पीड़न के मामले में कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करें। महिला डॉक्टर के एक सहयोगी के हवाले से आई खबर के अनुसार उन्होंने शुक्रवार को आत्महत्या का प्रयास किया था।
मंत्री ने ट्वीट कर कहा कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति उत्पीड़न के मामलों का लगातार बढ़ना जारी है। न कांग्रेस के राज में कुछ बदला, न भाजपा सरकार में। दोनों में कोई अंतर नहीं है। आखिर इन मामलों को क्यों गंभीरता से नहीं लिया जाता? डॉक्टर के कथित उत्पीड़न की एक खबर को टैग करते हुए गौतम ने प्रधानमंत्री कार्यालय और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से मामले में सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने का आग्रह किया।
एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने भी हर्षवर्धन को पत्र लिखकर इस संबंध में प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं किए जाने का आरोप लगाया था। एसोसिएशन ने इसे जाति और लिंग आधारित भेदभाव का एक गंभीर मामला करार देते हुए दावा किया कि रेजिडेंट डॉक्टर ने एम्स प्रशासन से बार-बार अपील की, लेकिन उन लोगों की निष्क्रियता ने डॉक्टर को कठोर कदम उठाने के लिए बाध्य कर दिया।
इसमें कहा गया है कि महिला डॉक्टर ने महिला शिकायत प्रकोष्ठ, एम्स के एससी/एसटी कल्याण प्रकोष्ठ और अनुसूचित जाति एवं जनजाति राष्ट्रीय आयोगों को भी लिखा, लेकिन कोई उचित कार्रवाई नहीं की गई। (भाषा)