चमोली। उत्तराखंड में भारत-चीन सीमा से सटे चमोली जिले के जोशीमठ में भू-धंसाव के चलते लोगों की रातों की नींद और दिन का चैन गायब हो गया है। जोशीमठ की लगभग 20 हजार की आबादी में से 500 से ज्यादा भवनों में दरारें पड़ने से लोग भयभीत हैं। 10 से ज्यादा भवन स्वामियों के अपने घर छोड़कर अन्यत्र जाने की बात भी सामने आई है।
स्थानीय लोगों के अनुसार भू-धंसाव की शुरुवात अक्टूबर 2021 में हुई अतिवृष्टि के बाद हुई थी। इसमें इस साल की वर्षांत के बाद अचानक इजाफा देखने को मिला। इसके बाद हुए होहल्ले के बाद इस बार अगस्त में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, आईआईटी रुड़की, सीबीआरआई रुड़की, जियोलाजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया, वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों की टीम गठित कर जोशीमठ का भूगर्भीय सर्वेक्षण कराया था।
सितंबर में विज्ञानियों की टीम ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी।विज्ञानियों ने जोशीमठ के ड्रेनेज व सीवर सिस्टम पर ध्यान केंद्रित करने, नदी से हो रहे भू-कटाव रोकने, शहर के निचले ढलानों पर स्थित परिवारों का विस्थापित करने, प्रभावित क्षेत्रों में निर्माण कार्यों पर रोक लगाने की अनुशंसा की गई।
अभी तक जोशीमठ की लगभग बीस हजार की आबादी में से पांच सौ से ज्यादा भवनों में दरारें पड़ने से लोग भयभीत हैं। 10 से ज्यादा भवन स्वामियों के अपने घर छोड़कर अन्यत्र जाने की बात भी सामने आई है। इस समस्या को लेकर चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने मंगलवार को सभी सबंधित विभागीय अधिकारियों के साथ क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण किया। जिलाधिकारी ने सिंचाई विभाग को जोशीमठ के ड्रेनेज प्लान हेतु शीघ्र डीपीआर तैयार करते हुए जल्द से जल्द सुरक्षात्मक कार्य शुरू कराने के निर्देश दिए।
साथ ही मारवाड़ी पुल से विष्णुप्रयाग तक करीब 1.5 किलोमीटर क्षेत्र में नदी से हो रहे भू कटाव की रोकथाम के लिए सुरक्षा दीवार निर्माण हेतु आपदा न्यूनीकरण में प्रस्ताव उपलब्ध करने को कहा। जोशीमठ नगर में हाल ही में हुए भू-धंसाव और मकानों में आई दरारों की गंभीर समस्या पर जिलाधिकारी ने निर्देशित किया कि स्ट्रक्चरल इंजीनियर से परामर्श लेते हुए तात्कालिक रूप से सुरक्षात्मक कार्य शुरू किया जाए।
इस दौरान जिलाधिकारी ने जोशीमठ नगर क्षेत्र में मनोहर बाग, सिंग्धार, गांधीनगर, मारवाड़ी आदि विभिन्न वार्ड क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण किया और संबंधित विभागों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए। इस अवसर पर नगर पालिका अध्यक्ष शैलेन्द्र पंवार, एसडीएम कुमकुम जोशी, जियोलॉजिकल विशेषज्ञ दीपक हटवाल, अधिशासी अभियंता सिंचाई अनूप कुमार डिमरी, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी एनके जोशी, तहसीलदार रवि शाह आदि मौजूद थे।
अब जबकि जोशीमठ का लगभग हर क्षेत्र धंसने लगा है। घरों और सड़कों पर हर जगह दरारें आने लगी हैं और लोग घरों को छोड़ने के लिए मजबूर होने लगे हैं तो जोशीमठ के लोग सड़कों पर भी निकलने लगे हैं। बीते 24 दिसंबर को जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले जोशीमठ के हजारों लोग सड़कों पर उतरे।
जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले हुए प्रदर्शन में लोगों ने तपोवन-विष्णुगाड परियोजना बना नहीं एनटीपीसी कंपनी और राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। लोगों का कहना था कि बिजली परियोजना की सुरंग जोशीमठ से नीचे से गुजर रही है और जोशीमठ के धंसाव को कारण यही सुरंग है।
जोशीमठ भूस्खलन के भयावह परिणाम इसी से समझे जा सकते हैं कि एक बहुमंजिला होटल गिरने की कगार पर पहुंच गया है। इस होटल से सटी आबादी हर रोज मौत के साए में जिंदगी गुजारने को मजबूर है। प्रशासन की निगाह इस पर है। पिछले कई हफ्तों से आशंका है कि यह कभी भी गिर सकता है।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र : ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को पत्र प्रेषित कर ज्योतिर्मठ में हो रहे भू-धंसाव पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने राष्ट्रपति से मांग की है कि धार्मिक ऐतिहासिक एवं पौराणिक नगरी ज्योर्तिमठ को बचाने के लिए हस्तक्षेप करें। उन्होंने नगर के सभी आवासीय भवनों का सर्वे कर प्रभावित परिवारों के पुनर्वास की मांग की है।
ज्योतिर्मठ के प्रवक्ता डॉ. बृजेश सती ने बताया कि ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को पत्र प्रेषित किया है, जिसमें उन्होंने ज्योतिर्मठ (जोशीमठ) में हो रहे भूधंसाव पर चिंता व्यक्त की है।
उन्होंने राष्ट्रपति से मांग की है कि संपूर्ण जोशीमठ क्षेत्र के आवासीय भवनों का सर्वे कराया जाए तथा प्रभावित परिवारों का पुनर्वास किया जाए। राष्ट्रपति को संबोधित पत्र में शंकराचार्य ने कहा है कि ज्योतिर्मठ आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार मठों में एक प्रमुख मठ तथा बद्रीनाथ धाम का मुख्य आधार स्थल है।
ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने राष्ट्रपति के अलावा प्रधानमंत्री, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री, उत्तराखंड के राज्यपाल एवं आपदा प्रबंधन मंत्री को भी इस संदर्भ में पत्र प्रेषित किया है।
Edited By : Chetan Gour