दिल्ली में 15 साल एक छत्र राज करने वाले कांग्रेस का इस बार सूपड़ा ही साफ हो गया है। राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा रखने वाले कांग्रेस को दिल्ली चुनाव में मात्र 4 फीसदी वोट मिले जो पिछले चुनाव लगभग 6 फीसदी कम है वहीं पार्टी के 63 उम्मीदवार अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए। कांग्रेस में इस हार के बाद पार्टी के अंदरखाने ही सवाल उठने लगे है। कांग्रेस नेताओं के अंदरखाने चल रही गुटबाजी सामने आ गई है और वह एक दूसरे को हार के लिए जिम्मेदार बता रहे है। इस करारी हार के बाद दिल्ली कांग्रेस के जिम्मेदार पदों पर बैठे नेताओं ने इस्तीफा देना शुरु कर दिया है।
दिल्ली कांग्रेस के प्रभारी पीसी चाको और दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा ने इस्तीफा दे दिया है। पीसी चाको ने हार का ठीकरा दिवंगत नेता शीला दीक्षित पर फोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में कांग्रेस की हालात 2103 से ही खराब होने लगी थी जब शीला दीक्षित मुख्यमंत्री थी। उन्होंने पार्टी की खराब हालत के लिए आम आदमी पार्टी को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि जब आम आदमी पार्टी है तब तक कांग्रेस आगे नहीं बढ़ सकती।
वहीं शीला दीक्षित के बेटे और कांग्रेस के बड़े नेता संदीप दीक्षित ने हार के लिए बिना नाम लिए पीसी चाको को जिम्मेदार ठहरा दिया। संदीप दीक्षित ने कहा कि दिल्ली के बड़े नेताओं ने पिछले 6-7 साल में शीला दीक्षित को जलील और बदनाम करने की कोशिश की और चुनाव के समय उनके नाम पर वोट मांगा तो जनता कैसे साथ देगी। उन्होंने पार्टी के नेताओं को फरेबी बता डाला।
वहीं पार्टी के सीनियर नेता और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने हार का ठीकरा पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर फोड़ दिया। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि शीर्ष स्तर पर निर्णय लेने में देरी और स्थानीय नेताओं की गुटबाजी के चलते पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा। उन्होंने पार्टी को आत्ममंथन और जिम्मेदार नेताओं पर कार्रवाई करने सीख भी दे डाली।