अब आपके कंप्यूटर को 10 एजेंसियां कभी भी खगाल सकती है। इंटेलिजेंस ब्यूरो से लेकर एनआईए और ईडी समेत दस केंद्रीय एजेंसियां अब किसी भी कंप्यूटर में मौजूद, रिसीव और स्टोर्ड डेटा समेत किसी भी जानकारी को देख सकती हैं।
गृह मंत्रालय ने एक आदेश जारी कर कहा कि यह 10 एजेंसियां कभी भी किसी भी कंप्यूटर के डेटा को चेक कर सकती हैं। आदेश के अनुसार सभी सब्सक्राइबर, सर्विस प्रोवाइडर और कंप्यूटर के मालिक को जांच एजेंसियों को तकनीकी सहयोग देना होगा। ऐसा नहीं करने की स्थिति में उन्हें 7 साल की सज़ा देने के साथ जुर्माना लगाया लगाया जा सकता है।
इन एजेंसियों में इंटेलिजेंस ब्यूरो, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, सेंट्रल टैक्स बोर्ड, राजस्व खुफिया निदेशालय, सीबीआई, एनआईए, कैबिनेट सचिवालय (आर एंड एडब्ल्यू), डायरेक्टरेट ऑफ सिग्नल इंटेलिजेंस (जम्मू-कश्मीर, नॉर्थ-ईस्ट और आसाम के क्षेत्रों के लिए) और पुलिस आयुक्त, दिल्ली का नाम शामिल है।
राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने कहा है कि सरकार का यह आदेश मौलिक अधिकारों के विपरीत है और व्यक्ति के निजता के अधिकारों पर हमले के समान है। उन्होंने कहा कि इससे लोकतंत्र के लिए खतरा पैदा हो गया है और पार्टी इसका विरोध करती है।
समाजवादी पार्टी के रामगोपाल वर्मा ने कहा कि सरकार का यह आदेश खतरनाक है और इससे उसके तानाशाहीपूर्ण रवैये का पता चलता है। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में हार से बौखलाई भाजपा सरकार ने यह कदम उठाया है। सपा नेता ने भाजपा को आगाह करते हुए कहा कि अब केन्द्र में उसकी सरकार के दिन गिने चुने हैं और वह अपने लिए गढ्ढा न खोदे।
माकपा पोलित ब्यूरो और पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी ने निजी कंप्यूटरों को भी जांच एजेंसियों की निगरानी के दायरे में लाने के सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए शुक्रवार को सवाल किया कि सरकार प्रत्येक भारतीय को अपराधी क्यों मान रही है? बयान में कहा गया कि यह संविधान प्रदत्त निजता के मूलभूत अधिकार पर हमला है।