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जेटली की सफाई, CVC की सिफारिश पर भेजा आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को छुट्टी पर

हमें फॉलो करें जेटली की सफाई, CVC की सिफारिश पर भेजा आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को छुट्टी पर
, बुधवार, 24 अक्टूबर 2018 (15:41 IST)
नई दिल्ली। सरकार ने बुधवार को कहा कि सीबीआई के दो शीर्ष अधिकारियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप को देखते हुए एजेंसी की साख बरकरार रखने के लिए केन्द्रीय सतर्कता आयोग की सिफारिश पर दोनों अधिकारियों को छुट्टी पर भेजा गया है और CVC की निगरानी में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) पूरे मामले की जांच करेगा।
 
वित्त एवं कॉर्पोरेट मामलों के मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को कहा कि सीबीआई देश की प्रमुख जांच एजेंसी है और एक संस्था के रूप में उसकी विश्वसनीयता बरकरार रखने के लिए सीवीसी की सिफारिश पर सरकार ने एजेंसी के निदेशक आलोक कुमार वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेजा है। उन पर लगे आरोपों की सीवीसी की निगरानी में जांच कराई जाएगी। यह जांच एसआईटी या किसी अन्य माध्यम से कराने का फैसला सीवीसी को ही करना है।
 
उन्होंने कहा कि एक अधिकारी ने एजेंसी के प्रमुख पर आरोप लगाए हैं, जबकि सीबीआई ने अपने विशेष निदेशक पर आरोप लगाए हैं। ऐसी स्थिति में सीबीआई की विश्वसनीयता को बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया गया है। 
 
उन्होंने कहा कि सीबीआई कानून के तहत यह मामला सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है, लेकिन सीबीआई कानून में CVC को उसकी जांच करने का अधिकार है। सीवीसी भ्रष्टाचार निरोधक कानून से जुड़े मुद्दे देखता है और अपराध दंड संहिता के तहत आरोप दर्ज होता है।
 
उन्होंने कहा कि सीवीसी के पास उन आरोपों से जुड़े सारे तथ्य हैं जो अधिकारियों ने एक-दूसरे पर लगाए हैं। इस मामले में कौन दोषी है और कौन नहीं, यह अभी नहीं कहा जा सकता है। सीबीआई भी इस मामले की जांच नहीं कर सकती है क्योंकि जिन पर आरोप लगे हैं वे दोनों ही जांच एजेंसी के शीर्ष अधिकारी हैं और कोई भी जांच एजेंसी अपने शीर्ष अधिकारियों की स्वयं जांच नहीं कर सकती है। इसलिए सीवीसी की निगरानी में पूरे मामले की जांच होगी।
 
जेटली ने इस मामले में विपक्ष द्वारा लगाए गए आरोपों और उठाए गए सवालों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि सीबीआई में विचित्र एवं दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति बन गई है। विपक्ष के रवैए से भारतीय जांच एजेंसियों की गुणवत्ता एवं उच्च मानकों को लेकर गहरे संदेह पैदा हो गए थे। उन्होंने कहा कि जिस पर आरोप सिद्ध नहीं होगा वह फिर से संस्थान में आ सकेगा।

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