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चुनावी बॉण्ड को लेकर Supreme Court का बड़ा फैसला, पूर्व CEC कृष्णमूर्ति और कुरैशी ने दिया यह बयान

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, गुरुवार, 15 फ़रवरी 2024 (18:24 IST)
  • 6 साल पुरानी योजना में चंदा देने वालों के नामों का खुलासा करने का आदेश
  • चुनावी बॉण्ड योजना राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता के लिए सही नहीं
  • फैसले से लोकतंत्र में लोगों का विश्वास बहाल होगा
Big decision of Supreme Court regarding electoral bonds : पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) टीएस कृष्णमूर्ति ने राजनीतिक चंदे के लिए चुनावी बॉण्ड योजना को रद्द करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले को 'ऐतिहासिक' करार देते हुए गुरुवार को कहा कि यह स्वच्छ लोकतंत्र के हित में है। इसी तरह पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एसवाई कुरैशी ने भी उच्चतम न्यायालय के इस फैसले को लोकतंत्र के लिए एक बड़ा वरदान बताया है।
 
कृष्णमूर्ति ने कहा कि वह फैसले से पूरी तरह सहमत हैं। पूर्व सीईसी ने कहा कि उन्होंने पहले भी सार्वजनिक बयान दिया था कि चुनावी बॉण्ड योजना राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता के लिए सही नहीं है। उन्होंने कहा कि यद्यपि यह दावा किया गया था कि चुनावी बॉण्ड के जरिए पारदर्शिता को बढ़ावा दिया जा रहा है, क्योंकि यह (चंदे की राशि) बैंकिंग चैनल से होकर गुजरती है, लेकिन यह योजना कतई सही नहीं थी।
 
उन्होंने बताया, लेकिन चंदे का स्रोत और दानकर्ता का नाम ज्ञात नहीं है। फिर आप कैसे जानते हैं कि यह उचित माध्यम से अर्जित पैसा है या गलत पैसा; यह ज्ञात नहीं है। कृष्णमूर्ति ने कहा, यह एक ऐतिहासिक फैसला है, यह स्वच्छ लोकतंत्र के हित में है। मैं केवल आशा करता हूं कि राजनीतिक दल अपना सबक सीखेंगे।
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पूर्व सीईसी एसवाई कुरैशी ने फैसले को बताया लोकतंत्र के लिए बड़ा वरदान : पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) एसवाई कुरैशी ने गुरुवार को कहा कि चुनावी बॉण्ड योजना को रद्द करने वाला उच्चतम न्यायालय का फैसला लोकतंत्र के लिए एक बड़ा वरदान है।
 
प्रमुख न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्‍यीय पीठ ने कहा कि चुनावी बॉण्ड योजना संविधान के तहत प्रदत्त सूचना के अधिकार और भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकारों का उल्लंघन करती है। न्यायालय ने भारतीय स्टेट बैंक को निर्वाचन आयोग को राजनीतिक फंडिंग के लिए छह साल पुरानी योजना में चंदा देने वालों के नामों का खुलासा करने का भी आदेश दिया।
 
कुरैशी ने कहा, इससे लोकतंत्र में लोगों का विश्वास बहाल होगा। यह सबसे बड़ी बात है जो हो सकती थी। यह पिछले पांच-सात वर्षों में उच्चतम न्यायालय से हमें मिला सबसे ऐतिहासिक फैसला है। यह लोकतंत्र के लिए एक बड़ा वरदान है। उन्होंने कहा, हम सभी पिछले कई वर्षों से चिंतित थे। लोकतंत्र को चाहने वाला हर कोई इसका विरोध कर रहा था। मैंने खुद कई लेख लिखे, कई बार मीडिया से बात की और हमने जो भी मुद्दा उठाया, फैसले में उसका निपटारा किया गया है।
 
पूर्व सीईसी ने इस महत्वपूर्ण फैसले के लिए शीर्ष अदालत की सराहना करते हुए सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट भी डाला। उन्होंने लिखा, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा चुनावी बॉण्ड को असंवैधानिक घोषित किया गया। उच्चतम न्यायालय को शुभकामनाएं!
 
सरकार द्वारा दो जनवरी, 2018 को अधिसूचित इस योजना को राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत दलों को दिए जाने वाले नकद चंदे के विकल्प के रूप में पेश किया गया था। कुरैशी ने कहा कि यह सुनिश्चित करना ठीक है कि चंदा बैंकिंग प्रणाली के माध्यम से हो, लेकिन हमारा तर्क यह था कि किसी राजनीतिक दल को दिए गए चंदे को गुप्त क्यों रखा जाना चाहिए?
 
उन्होंने कहा, दाता गोपनीयता चाहता है, लेकिन जनता पारदर्शिता चाहती है। अब दानकर्ता को गोपनीयता क्यों चाहिए? क्योंकि वे बदले में मिलने वाले लाभ, लाइसेंस, अनुबंध और यहां तक कि उस बैंक ऋण को भी छिपाना चाहते हैं, जिसे मिलने के बाद वे विदेश भाग जाते हैं। क्या इसीलिए वे गोपनीयता चाहते थे?
 
उन्होंने कहा, और सरकार दानदाताओं की गोपनीयता बनाए रखने की कोशिश कर रही थी, वहीं दानकर्ता, जो 70 वर्षों से चंदा दे रहे हैं। अचानक गोपनीयता की जरूरत (क्यों) पड़ने लगी तो अब उसे ख़त्म कर दिया गया है। मुझे लगता है कि यह हमारे लोकतंत्र को एक बार फिर स्वस्थ बनाएगा। उन्होंने कहा कि यह भारत के लोकतंत्र के लिए सबसे अच्छी बात हो सकती है।
 
कुरैशी ने कहा, तथ्य यह है कि अदालत ने आदेश दिया है कि पिछले दो-तीन वर्षों में प्राप्त सभी चंदा वापस कर दिया जाएगा और उनका खुलासा राष्ट्र के सामने किया जाएगा। इससे हमें यह जानने में मदद मिलेगी कि क्या बदले में कुछ हुआ था, क्या वहां कोई दानदाता था, जिस पर संदिग्ध दबाव रहे हों। इस फैसले से बहुत सी चीजें सामने आएंगी। एक शब्द में, यह एक 'ऐतिहासिक' फैसला है।
 
यह पूछे जाने पर कि इसका आगामी आम चुनावों पर क्या प्रभाव पड़ेगा, उन्होंने कहा कि इसका पर्याप्त रूप से प्रभाव पड़ेगा, लेकिन पूरी तरह नहीं। उन्होंने कहा, क्योंकि यदि राजनीतिक दलों को अतीत में वित्त पोषित किया गया है। उन्हें भविष्य में भी वित्त पोषित किया जाता रहेगा, लेकिन वित्त पोषण के इस अपारदर्शी तरीके को हटा दिया गया है और यह इसका सबसे अच्छा हिस्सा है। उन्होंने कहा कि उन्होंने हमेशा पारदर्शिता की मांग की है।
 
उन्होंने कहा, लोगों को राजनीतिक दलों को चंदा देने दीजिए। वे 70 साल से चंदा दे रहे हैं, कोई समस्या नहीं है। अगर आपने विपक्षी दलों को चंदा दिया तो भी कोई प्रतिशोध नहीं हुआ। किसी ने कोई प्रतिशोधात्मक कार्रवाई नहीं की है। कुरैशी ने कहा, कॉर्पोरेट एक ही चुनाव में लड़ने वाली सभी दलों को चंदा देते रहे हैं। जो प्रणाली 70 वर्षों से सही काम कर रही थी, उसमें एकमात्र चीज यह थी कि 60-70 प्रतिशत चंदा नकद में दिया जाता था, जो चिंता का विषय था।
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महाराष्ट्र के विपक्षी दल बोले, चुनावी बॉन्ड से केवल भाजपा को फायदा हुआ : चुनावी बॉन्ड को रद्द करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए महाराष्ट्र में विपक्षी दलों ने गुरुवार को कहा कि इस योजना से केवल भारतीय जनता पार्टी को फायदा हुआ है।
 
राकांपा-शरदचंद्र पवार के प्रवक्ता क्लाइड क्रास्टो ने दावा किया कि गुमनाम दानदाताओं के जरिए सत्तारूढ़ भाजपा को लाभ पहुंचाने के लिए चुनावी बॉन्ड योजना शुरू की गई थी। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत, राजनीतिक दलों को किसी व्यक्ति से मिलने वाले चंदे के बदले में फायदे पहुंचाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता और इसलिए भाजपा को प्राप्त हुए चुनावी बॉन्ड की मात्रा को देखते हुए इसकी संभावना है।
 
क्रास्टो ने कहा, चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक बताते हुए इसे रद्द करने का उच्चतम न्यायालय का फैसला एक बहुत ही स्वागत योग्य कदम है। राजनीतिक दल को मिलने वाले हर चंदे में पारदर्शिता और जवाबदेही होनी चाहिए। उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना (यूबीटी) ने कहा कि शीर्ष न्यायालय ने चुनावी बॉंड पर एक ऐतिहासिक फैसला दिया है लेकिन जैसा मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति के मामले में देखने को मिला, वैसा इसमें नहीं होना चाहिए।
 
शिवसेना (यूबीटी) सांसद विनायक राउत ने कहा, केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय के निर्देशों को दरकिनार कर दिया और एक कानून पारित किया, जिसके तहत प्रधानमंत्री, एक कैबिनेट मंत्री और विपक्ष के नेता मुख्य निर्वाचन आयुक्त का चयन करेंगे। इस विषय में भी ऐसा नहीं होना चाहिए।
 
शिवसेना (यूबीटी) न केवल न्यायालय के फैसले का स्वागत करती है बल्कि यह भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और सरकार पर लोगों के साथ सूचना (चुनावी बॉन्ड के बारे में) साझा करने के लिए भी दबाव डालेगी। इस बीच, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने भी न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह एक अनुचित योजना थी जिसे सत्तारूढ़ दल को मदद पहुंचाने के लिए तैयार किया गया था और अब राजनीतिक एवं चुनावी वित्त पोषण के लिए सुधारों की जरूरत है।
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चुनावी फंडिंग को लेकर SC के फैसले पर AAP ने जताई खुशी : आम आदमी पार्टी (AAP) की नेता एवं दिल्ली की कैबिनेट मंत्री आतिशी ने सुप्रीम कोर्ट के चुनावी बांड के फैसले का स्वागत करते हुए गुरुवार को कहा कि यह चुनावी फंडिंग में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
 
सुश्री आतिशी ने कहा कि चुनावी बांड पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला खुशी की बात है। हर नागरिक को जानने का अधिकार है कि केंद्र में या प्रदेश में जो पार्टी सरकार में है वह वोटर के लिए निर्णय ले रही है या चंदा देने वालों के लिए। आतिशी ने कहा कि खुशी की बात है सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय चुनाव आयोग को तुरंत बताने को कहा है कि किस पार्टी को कहां से और कितने इलेक्टोरल बॉन्ड्स मिले।
 
‘आप’ नेता गोपाल राय ने कहा, काफ़ी समय से प्रश्न उठ रहा था कि केंद्र सरकार चुनावी बांड के जरिए किसी न किसी तरह से लोगों को प्रभावित कर रही है। मेरा मानना ​​है कि सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला लिया है उससे चुनाव में पारदर्शिता आएगी। उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने देश में राजनीतिक दलों के चंदे लिए 2018 बनाई गई चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए आज इसे रद्द कर दिया।
 
संविधान पीठ ने एसबीआई को चुनावी बांड प्राप्त करने वाले राजनीतिक दलों और बांड से संबंधित सभी विवरण छह मार्च तक चुनाव आयोग को सुपुर्द करने का भी निर्देश दिया‌। शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग को यह भी निर्देश दिया कि वह एसबीआई से बांड से संबंधित प्राप्त उन विवरणों को 13 मार्च तक अपनी वेबसाइट के जरिए सार्वजनिक कर दे।
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अलका लांबा ने उच्चतम न्यायालय के फैसले का किया स्वागत : कांग्रेस की वरिष्ठ नेता अलका लांबा ने गुरुवार को कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले आयकर विभाग, ईडी और सीबीआई एक बार फिर राहुल गांधी और सोनिया गांधी जैसे नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करेंगे, लेकिन पार्टी ऐसे हमलों का सामना करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा, ये कार्रवाई महंगाई, बेरोजगारी और किसानों के संकट जैसे मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए है। लांबा ने चुनावी बॉन्ड पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत किया।
 
अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की प्रमुख ने कहा कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव में 400 सीटें जीतने के बड़े-बड़े दावे कर रही है, लेकिन विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के गठन की घोषणा के बाद वह जांच एजेंसियों की मदद ले रही है।
 
उन्होंने दावा किया, पहले महाराष्ट्र में शिवसेना और राकांपा पर हमला किया गया और फिर झारखंड में (तत्कालीन मुख्यमंत्री) हेमंत सोरेन पर हमला किया गया। जब सोरेन नहीं डिगे तो उन्होंने उनकी सरकार गिराने की कोशिश की लेकिन विफल रहे। लांबा ने कहा कि भाजपा ने ऐसे कई नेताओं को शामिल कर लिया है जिनके खिलाफ वह एक समय (अनियमितताओं के) ठोस सबूत होने के दावे करती थी।
 
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजनीतिक रैलियां करेंगे, और विपक्षी नेताओं को इस तरह की जांच में व्यस्त रखा जाएगा। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने के बारे में पूछे जाने पर लांबा ने कहा कि उन्होंने जेल जाने के बजाय सत्तारूढ़ दल में जाना उचित समझा। उन्होंने कहा कि चव्हाण के खिलाफ भाजपा ही (आदर्श हाउसिंग घोटाले के सिलसिले में) आरोप लगाती थी। (एजेंसियां)
Edited By : Chetan Gour

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