Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

लक्षद्वीप के मिनिकॉय और अगाती द्वीप पर बड़ा काम करने जा रहा भारत, चीन और मालदीव के लिए खतरे की घंटी

हमें फॉलो करें PM Modi in Lakshadweep

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, गुरुवार, 15 फ़रवरी 2024 (18:09 IST)
India will build naval bases on Minicoy and Agati Islands : चीन और मालदीव आए दिन भारत के खिलाफ जहर उगलते रहे हैं। चीन के शे पर मालदीव भी भारत से बार बार टकराने की हिमाकत कर रहा है। अब इन दोनों देशों को सबक सिखाने के लिए भारत ने नया दाव खेला है।

दरअसल, लक्षद्वीप में पर्यटन को बढ़ावा देने के बाद अब भारत इस द्वीप पर अपनी सैन्य ताकत भी मजबूत कर रहा है। भारत यहां नौसैनिक अड्डे बनाने की तैयारी कर रहा है। भारत के इस कदम से चीन और मालदीव के माथे पर शिकन आ गई है।

राजनाथ करेंगे घोषणा : बता दें कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह INS विक्रमादित्य और INS विक्रांत पर सवार होकर 4-5 मार्च को मिनिकॉय द्वीप समूह की यात्रा करेंगे। उम्मीद की जा रही है कि इसी दौरान इस योजना की आधिकारिक घोषणा की जा सकती है।

INS जटायु का उद्घाटन करेंगे राजनाथ: भारतीय नौसेना ने संयुक्त कमांडर सम्मेलन के पहले चरण का आयोजन INS विक्रमादित्य और INS विक्रांत पर करने की योजना बनाई है। ये युद्धपोत गोवा से चलकर कर्नाटक के कारवार और फिर वहां से मिनिकॉय द्वीप होते हुए कोच्चि पहुंचेंगे। इस सम्मेलन के दौरान करीब 15 युद्धपोत भी मौजूद रहेंगे। इसके अलावा अगाट्टी द्वीप में हवाई पट्टी को भी विकसित किया जाएगा।

क्यों अहम है भारत का फैसला : लक्षद्वीप, मिनिकॉय द्वीप और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह की भौगोलिक स्थिति हिंद महासागर पर नजर रखने के लिए काफी अहम है। इस इलाके में चीन की बढ़ती गतिविधियों और समुद्री रास्तों को सुरक्षित करने के लिहाज से ये नौसैनिक अड्डा काफी अहम होगा। इसके अलावा लक्षद्वीप और मिनिकॉय द्वीप 9 डिग्री चैनल पर स्थित हैं, जहां से दक्षिण-पूर्वी एशिया और उत्तरी एशिया के बीच अरबों रुपए का माल ले जाने वाले व्यापारिक जहाज गुजरते हैं।

इससे पहले घोषणा की गई थी कि मिनिकॉय द्वीप पर बहुउद्देश्यीय हवाई अड्डा बनाया जाएगा। यहां से आम नागरिक विमानों के साथ ही भारतीय वायुसेना के विमानों का भी संचालन किया जा सकेगा। बता दें कि लक्षद्वीप के आसपास फिलहाल सिर्फ अगाती द्वीप पर ही हवाई पट्टी है। यहां भी हर तरह के विमानों का संचालन नहीं हो सकता। यहां पहले से ही नौसेना के दक्षिणी कमांड का बेस द्वीपरक्षक है।

लक्षद्वीप 36 छोटे-छोटे द्वीपों का समूह है। केरल के कोच्चि से करीब 440 किलोमीटर दूर स्थित ये जगह रणनीतिक नजरिए से भी काफी अहम है। यहां की कुल आबादी करीब 64,000 है। इसमें से भी 95 प्रतिशत मुस्लिम हैं। आदिवासियों की संस्कृति को बचाए रखने की वजह से यहां पर जाने के लिए आम भारतीयों को परमिट लेना जरूरी होता है। हालांकि, भारतीय सेना के जवान, उनके परिजन और सरकारी अधिकारियों को परमिट से छूट मिली हुई है।

कैसे हैं चीन मालदीव से रिश्‍ते : बता दें कि भारत के चीन और मालदीव के रिश्‍ते ठीक नहीं है। चीन तो शुरू से ही हर मोर्चे पर भारत के खिलाफ रहा है, जबकि पिछले कुछ समय से मालदीव भी चीन की शे पर भारत के साथ तकरार करने से बाज नहीं आ रहा है। हाल ही में लक्षदीप पर पीएम नरेंद्र मोदी की यात्रा के बाद मालदीव ने भारत को आंख दिखाने की कोशिश की थी, जिसके बाद पूरे भारत में मालदीव के बहिष्‍कार को लेकर अभियान चलाया गया था।
Edited by Navin Rangiyal

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

काका पर भतीजा भारी, अजित पवार की NCP असली, शरद गुट को Speaker का झटका