Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

बीएचयू के आंदोलनकारी छात्रों ने मुंडवाए सिर

हमें फॉलो करें बीएचयू के आंदोलनकारी छात्रों ने मुंडवाए सिर
, मंगलवार, 26 सितम्बर 2017 (23:53 IST)
वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में छात्राओं पर हुए लाठीचार्ज के खिलाफ आंदोलनकारी कुछ छात्रों ने मंगलवार को अपने को 'अनाथ' बताते हुए सामूहिक रुप से सिर मुंडवाए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 'गोद' लेने की गुहार लगाई।
        
कई दिनों से तनाव से जूझ रहे विश्वविद्यालय परिसर में बिड़ला छात्रावास के बाहर कुछ समय के लिए धरने पर बैठे लगभग 20 छात्रों में से आधे ने अपने सिर मुंडवा लिए। उनका कहना है कि वे विधि विधान के साथ पिंडदान भी करेंगे। दोषियों को सजा दिए जाने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।
      
उनका कहना है कि 23 सितंबर की रात आंदोलनकारी छात्र-छात्राओं पर 'बर्बर' तरीके से लाठीचार्ज के बाद उन्हें लगता है कि 'बीएचयू प्रशासन की मौत' हो गई और वे अब 'अनाथ' हो गए।
        
छात्रों का कहना है कि जिस प्रकार से संवेदन शून्य व्यक्ति मृत की श्रेणी में माना जाता है, उसी प्रकार की हालत विश्वविद्यालय प्रशासन की हो गई है। प्रशासन संवेदनशील होता तो आंदोलनकारी छात्र-छात्राओं पर पुलिस एवं विश्वविद्यालय के सुरक्षाकर्मियों द्वारा आधी रात को 'बर्बर' तरीके लाठियां नहीं बरसाईं जाती। 
 
इसी वजह से वे अपने को 'अनाथ' महसूस करने लगे हैं। उन्हें यह डर सता रहा है कि कभी भी उनके साथ कोई हादसा हो सकता है। ऐसे में उनके सामने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वाराणसी के सांसद होने के नाते गोद लेने की गुहार लगाने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है।
        
इस बीच, कई समाजिक संगठनों ने आज भी शहर के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन किए  और कुलपति प्रो गिरीशचंद्र त्रिपाठी को विश्वविद्यालय परिसर में लाठीचार्ज एवं हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए उन्हें तत्काल बर्खास्त करने की मांग की।      
      
छात्राओं पर लाठीचार्ज एवं हिंसक घटनाओं के तनाव से जूझ रहे विश्वविद्यालय परिसर की हालत धीरे-धीरे सामान्य हो रही है, लेकिन ऐहतियात के तौर पर हिंसक घटनाओं के चौथे दिन भी बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात रहे। पुलिस के आला अधिकारियों की मौजूदगी में परिसर सुरक्षा की विशेष निगरानी की जा रही है।
       
गौरतलब है कि विश्वविद्यालय परिसर की मुख्य द्वार 'सिंहद्वार' पर 22 सितंबर की सुबह से अपनी सुरक्षा की मांग को लेकर बड़ी संख्या में छात्राएं धरने पर बैठ गई थीं। अगले दिन 23 सितंबर की रात कुलपति प्रो गिरीशचंद्र त्रिपाठी से अपनी मांगों को लेकर बातचीत की कोशिश विफल होने के बाद आंदोलनकारी छात्राएं उनके निवास की ओर बढ़ रहीं थीं। 
 
आरोप है कि इसी बीच विश्वविद्यालय के सुरक्षाकर्मियों ने छात्राओं पर लाठियां बरसाईं, जिसके बाद भड़की हिंसक घटनाओं में 12 छात्राएं एवं कई पत्रकारों एवं पुलिसकर्मियों सहित 18 से अधिक लोग घायल हो गए थे। उग्र भीड़ ने जमकर तोड़फोड़ की थी और एक ट्रैक्टर एवं कई मोटरसाइकलों को आग के हवाले कर दिया था। (वार्ता)
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

हार्दिक पटेल ने राजद्रोह के मामले में बरी करने के लिए अर्जी लगाई