नई दिल्ली। नोटबंदी के कारण बैंकों के लिए एटीएम का संचालन करने वाले सेवा प्रदाताओं ने मशीनों में नए नोटों के अनुकूल बदलाव करने तथा नोटों की आपूर्ति में कमी के कारण उन्हें हुई आमदनी की क्षति पर सरकार से मुआवजा मांगा है।
वित्त राज्यमंत्री संतोष गंगवार ने लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में माना कि बैंकों द्वारा एटीएम मशीनों में नकदी नहीं भरे जाने के कारण एटीएम सेवा प्रदाताओं को नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया कि एटीएम मशीन में नए नोटों के अनुकूल बदलाव करने के पश्चात सेवा प्रदाताओं ने उनके द्वारा किए गए कार्यों के लिए बैंकों से मुआवजा हासिल करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक से हस्तक्षेप का अनुरोध किया था। उन्होंने एटीएम बंद रहने अथवा कम लेन-देन के कारण भी उन्हें हुई क्षति के लिए भी मुआवजा मांगा है।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में गंगवार ने एटीएम से नकदी निकासी की संख्या सीमा कम करने की बात का खंडन किया। उन्होंने कहा कि यह मामला भारतीय रिजर्व बैंक के दायरे में आता है। उसी ने 8 नवंबर 2016, 16 जनवरी 2017 और 30 जनवरी 2017 को पारिपत्र जारी करके निकासी सीमा को विनियमित किया है। रिजर्व बैंक ने 1 फरवरी 2017 से सभी प्रकार की सीमाएं हटा दी हैं।
एटीएम निकासी सीमा को लेकर जनता की शिकायतों के बारे में वित्त राज्यमंत्री ने कहा कि सरकार को इस संबंध में कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है।
गड़बड़ी करने वाले बैंकों के 156 अधिकारी निलंबित : वित्तमंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में एक तारांकित प्रश्न के जवाब में कहा कि नोटबंदी के दौरान सरकारी तथा निजी बैंकों के कई अधिकारी अनयिमितता में संलिप्त रहे हैं। सरकार को मिली सूचना के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के 156 अधिकारियों को निलंबित करके 41 अधिकारियों को स्थानांतरित किया गया है। नोटबंदी के दौरान गड़बड़ी करने के मामले में निजी क्षेत्र के बैंकों के 11 अधिकारी निलंबित हुए हैं।
उन्होंने बताया कि इस दौरान हुए आपराधिक मामले भी हुए हैं और ऐसे 26 मामलों में पुलिस तथा केंद्रीय जांच ब्यूरो में शिकायत दर्ज कराई गई है। (वार्ता)