नई दिल्ली। एयर इंडिया के एक पायलट के अनुसार उसकी झड़ते हुए बालों को रोकने की कोशिश का नतीजा यह हुआ कि उसका उड़ान लाइसेंस 3 साल के लिए निलंबित कर दिया गया।
पायलट का दावा है कि एक उड़ान के संचालन से पहले की गई सांस की जांच में उसके इलाज में इस्तेमाल सीरम में अल्कोहल का पता चला। घटना पिछले साल की है और पायलट ने उसे निलंबित करने के डीजीसीए और नागर विमानन मंत्रालय के फैसले को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी है।
पायलट ने याचिका में कहा कि ब्रेथ एनालाइजर (बीए) जांच में अल्कोहल का स्तर 0.16 से 0.20 आया था, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य 0.40 के मानक से कम था। उसने दावा किया कि उसी दिन एक निजी प्रयोगशाला से कराई गई खून और मूत्र की जांच में कोई अल्कोहल नहीं आया।
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने मई 2018 में पायलट को 3 साल के लिए निलंबित किया था। डीजीसीए ने अदालत में कहा कि अल्कोहल का उसका स्वीकार्य स्तर 0.0 है।
डीजीसीए ने कहा कि पायलट पहले भी एक बार उड़ान से पहले हुई बीए जांच में अल्कोहल के लिहाज से पॉजीटिव पाए गए थे और तब उन्होंने दावा किया था कि खांसी का सीरप पीने की वजह से ऐसा हुआ है। पायलट ने शुरू में अपने 3 साल के निलंबन के खिलाफ मंत्रालय में अपील की। मंत्रालय ने इस साल अप्रैल में डीजीसीए के फैसले को बरकरार रखा था।
इसके बाद पायलट ने अपने निलंबन के खिलाफ उच्च न्यायालय में गुहार लगाई। उच्च न्यायालय ने मंत्रालय और डीजीसीए को पत्र लिखकर उनसे पायलट की याचिका पर जवाब मांगा है। (भाषा)