Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

क्‍या है PFI और क्‍यों हो रही है इस कट्‍टरपंथी संगठन की चर्चा?

हमें फॉलो करें PFI
, मंगलवार, 7 जून 2022 (19:30 IST)
देश में चल रहे ज्ञानवापी मस्‍जिद विवाद और कानपुर हिंसा मामले में भी PFI की एंट्री हो गई है। पीएफआई यानी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया। यह संगठन पहले भी सुर्खियों में आ चुका है। शाहीन बाग प्रोटेस्ट के बाद सुर्खियों में आए इस संगठन का नाम अब ज्ञानवापी और कानपुर कांड से भी जुड़ गया है। इससे पहले करौली, खरगोन और जोधपुर हिंसा में भी पीएफआई का नाम सामने आया था। 

मुस्लिमों को भड़काता है यह संगठन : दरअसल, यूपी में वाराणसी की ज्ञानवापी और मथुरा की मस्जिदों के सर्वे के खिलाफ कोर्ट में चल रहे मामलों को लेकर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) ने मोर्चा खोल दिया है। केरल के पुत्थनथानी में इस कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन की राष्ट्रीय बैठक आयोजित हुई। इस बैठक में देशभर के मुस्लिमों से एकजुट होकर मस्जिदों के खिलाफ चल रही कार्रवाई का विरोध करने की अपील की गई है।

शाहीन बाग प्रदर्शन के दौरान सामने आया था नाम : दिल्ली के शाहीन बाग में चल रहे CAA और NRC प्रदर्शन के दौरान पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का नाम सुर्खियों में आया था। PFI‍ पर यूपी में कुछ समय पहले हुए CAA के विरोधी प्रदर्शनों में हिंसा फैलाने का आरोप भी लगा था। इसे सिमी (स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया) का बी विंग कहा जाता है।

पीएफआई 2006 में उस वक़्त सुर्खियों में आया था, जब दिल्ली के राम लीला मैदान में नेशनल पॉलिटिकल कांफ्रेंस का आयोजन किया गया था। तब लोगों की बड़ी संख्या यहां उपस्थिति दर्ज हुई थी। यह माना जाता है कि इसकी पूरी राजनीति मुस्लिमों के इर्द-गिर्द ही चलती है।

एक जानकारी के मुताबिक पीएफआई तेजी से अपने पांव फैला रहा है। देश में 23 राज्य ऐसे हैं, जहां पीएफआई अपनी गतिविधियां चला रहा है। यह संगठन खुद को न्याय, स्वतंत्रता और सुरक्षा का पैरोकार बताता है। मुस्लिमों के अलावा देश भर के दलितों, आदिवासियों पर होने वाले अत्याचार के लिए आंदोलन करता है। शाहीन बाग मामले में भी पीएफआई पर आरोप हैं कि वह पैसे देकर आंदोलन को भड़काने का काम कर रहा है। शाहीन बाग इलाके में उसका मुख्‍यालय है।

यह भी है आरोप : संसद से सीएए कानून पास होने के बाद पश्चिमी यूपी के 73 बैंक खातों में 120 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम जमा की गई थी। पीएफआई और इससे जुड़े संगठन रेहाब फाउंडेशन ऑफ इंडिया (आरएफआई) व कुछ अन्य लोगों के नाम से खोले गए खातों में यह रकम विदेशी स्रोतों और कुछ निवेश कंपनियों के मार्फत भेजी गई। जांच एजेंसी को शक है कि इसी रकम का इस्तेमाल यूपी में हिंसक प्रदर्शनों के लिए हुआ था। इन हिंसक वारदातों में 20 जानें गई थीं। ईडी ने यह रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी भेजी है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Kanpur Violence : कानपुर हिंसा मामले में PFI की एंट्री, यूपी पुलिस की कार्रवाई पर उठे सवाल, वायरल हुआ लेटर