कानपुर। कानपुर हिंसा में पुलिस की कार्रवाई पर पीएफआई ने सवाल उठाया है। पत्र जारी कर कहा गया कि पुलिस मुस्लिमों पर बदले की भावना से कार्रवाई कर रही है। यह भी मांग की गई कि मामले की निष्पक्ष जांच हो। यह पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है और पुलिस ने पत्र को जांच में शामिल कर लिया है। हालांकि वायरल पत्र की पुष्टि वेबदुनिया.कॉम नहीं करता है।
वायरल हुआ पत्र : कानपुर हिंसा मामले में कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) का नाम सामने आया है। पुलिस अभी इसकी जांच ही कर रही थी कि मंगलवार को एक पत्र वायरल हो गया। वायरल पत्र पीएफआई के महासचिव अनीस अहमद की ओर से जारी हुआ है। पत्र अंग्रेजी में लिखा गया है और पुलिस पर आरोप है कि पुलिस पक्षपातपूर्ण कार्रवाई कर रही है। खुलेआम बुलडोजर की धमकी देकर मुस्लिमों को डराया जा रहा है। मांग की गई कि पुलिस निष्पक्षतापूर्ण कार्रवाई करे और दोनों पक्षों के दोषियों पर कार्रवाई करे।
कहा गया कि विरोध कैसे हिंसक हो गया, इसकी गहन और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और दोषियों को सजा मिलनी चाहिए। घटना के फुटेज से यह स्पष्ट है कि पुलिस निष्क्रिय रूप से देखती रही जबकि अपराधियों द्वारा विरोध कर रहे लोगों पर विस्फोटक फेंके जा रहे थे। पुलिस ने लोगों को शांत करने की कोशिश करने वाले मुस्लिम नेताओं के साथ भी मारपीट की। ज्यादातर मुस्लिम युवकों को गिरफ्तार किया गया जिनमें से कई का हिंसा से कोई लेना-देना ही नहीं था।
नहीं किया जा रहा पक्षपात : पीएफआई का पत्र तेजी से वायरल हो रहा है और पुलिस ने भी पत्र का संज्ञान लिया है। ज्वॉइंट पुलिस कमिश्नर आनंद प्रकाश तिवारी ने बताया कि पत्र की जानकारी हुई है। पत्र सबसे पहले किस सोशल मीडिया में और कहां से जारी हुआ है, इसकी जांच की जा रही है। वहीं निर्दोषों पर कार्रवाई को लेकर कहा कि पुलिस मामले की जांच कर रही है और नियमानुसार कार्रवाई करेगी। उन्होंने कहा कि अब तक की कार्रवाई में पुलिस ने किसी तरह का पक्षपात नहीं किया है और अब तक जो भी कार्रवाई की गई है, वह न्याय और विधिसम्मत है।