कश्मीर में सेना के साथ मुठभेड़ में मारे गए पाकिस्तानी आतंकवादी अबू दुजाना को सेना ने जान बचाने का पूरा मौका दिया था, लेकिन इस कुख्यात आतंकवादी ने हथियार डालने से इंकार कर दिया। अन्तत: सेना के हाथों मारा गया।
मुठभेड़ से पहले आतंकी अबू दुजाना से फोन पर सेना के एक मेजर की बातचीत हुई थी। मेजर ने उसे बहुत समझाने की कोशिश की थी। मेजर ने कहा कि सरेंडर कर दे। अपने और अपने मां-बाप के बारे में सोच। ये सब गेम है। कोई भी तुझे मारना नहीं चाहता। हम तेरे दुश्मन नहीं हैं। तू बाहर निकल, कश्मीर के लोगों को समझा। इससे खून-खराबा रुक जाएगा अन्यथा लोग ऐसे ही मरते रहेंगे।
जवाब में दुजाना ने कहा कि मुझे पता है, आपकी मुझसे कोई दुश्मनी नहीं है। मैं यह भी जानता हूं कि यह गेम है। परोक्ष रूप से उसका इशारा पाकिस्तान की तरफ था। उसने कहा कि जिस दिन मैंने मां-बाप को छोड़ा था, उसी दिन उनके लिए मर गया था। मैं सरेंडर नहीं करूंगा, अब तो अल्लाह जो चाहेगा, वही होगा।
उल्लेखनीय है कि इसके पहले सेना पर मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगते आए हैं, कुछ लोग तो सेना पर एनकाउंटर के आरोप भी लगाते रहे हैं। परंतु यह बातचीत इसका स्पष्ट प्रमाण है कि भारतीय सेना दुर्दांत आतंकियों को भी बचने का एक मौका देती है।