देश में 5 साल के लिए बैन हुआ PFI, जानिए क्यों लगा प्रतिबंध?

Webdunia
बुधवार, 28 सितम्बर 2022 (07:53 IST)
नई दिल्ली। मोदी सरकार ने पीएफआई और उससे जुड़े संगठनों पर पर सख्त कार्रवाई करते हुए देशभर में उसे 5 साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया है। पीएफआई के खिलाफ NIA, ED समेत कई एजेंसियां छापेमार कार्रवाई कर रही थी। जांच एजेंसियों की रिपोर्ट के बाद गृह मंत्रालय ने एक आदेश जारी कर पीएफआई को प्रतिबंधित कर दिया।

गृहमंत्रालय ने पीएफआई को देश के लिए खतरा बताते हुए उस पर प्रतिबंध लगा दिया है। पीएफआई पर देश तोड़ने के आरोप लग रहे थे। टेरर फंडिंग, दंगों समेत कई देश विरोधी गतिविधियों में पीएफआई का नाम सामने आ रहा था।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर बताया है कि पीएफआई को अगले 5 साल तक अवैध संस्था माना जाता रहेगा। आदेश में कहा गया है कि पीएफआई और इसके सहयोगी संगठन या संबद्ध संस्थाएं या अग्रणी संगठन एक सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक संगठन के रूप में काम करते हैं, मगर ये गुप्त एजेंडा के तहत समाज के एक वर्ग विशेष को कट्टर बनाकर लोकतंत्र की अवधारणा को कमजोर करने की दिशा में काम करते हैं।
 
हाल ही में NIA और तमाम राज्यों की पुलिस और एजेंसियों ने पीएफआई के ठिकानों पर छापेमारी कर सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया था। कई राज्यों ने PFI को प्रतिबंधित करने की मांग की थी। पीएफआई के साथ ही उससे जुड़े 9 संगठनों पर देश में प्रतिबंध लगा दिया गया गया है।

केंद्रीय मंत्री और वरिष्‍ठ भाजपा नेता गिरिराज सिंह ने ट्वीट कर कहा कि बाय बाय पीएफआई।
इन संगठनों पर लगा प्रतिबंध : PFI के साथ ही रिहैब इंडिया फाउंडेशन (RIF), कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI), नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन ((NCHRO), ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (AIIC), नेशनल वीमेन फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन जैसे संगठनों पर भी बैन लगाया गया है।

क्या है PFI : इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) का राजनीतिक संगठन है। सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया यानी कि एसडीपीआई इसका राजनीतिक संगठन है। 
 
हाल ही में चर्चा में आए एसडीपीआई के मूल संगठन पीएफआई पर विभिन्न असामाजिक और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप है। इतना ही नहीं, पीएफआई के खिलाफ आरोप यह भी हैं कि विभिन्न इस्लामी आतंकवादी समूहों के साथ उसके कथित संबंध हैं। इस संगठन का नाम लगातार हिंसा के मामलों में जुड़ता आया है।
 
मुस्लिमों की इर्द गिर्द चलती है राजनीति : पीएफआई 2006 में उस वक़्त सुर्खियों में आया था जब दिल्ली के राम लीला मैदान में नेशनल पॉलिटिकल कांफ्रेंस का आयोजन किया गया था। तब लोगों की बड़ी संख्या में लोगों ने यहां उपस्थिति दर्ज कराई थी। यह माना जाता है कि इसकी पूरी राजनीति मुस्लिमों के इर्द-गिर्द ही चलती है। 
 
एक जानकारी के मुताबिक पीएफआई तेजी से अपने पांव फैला रहा है। देश में 23 राज्य ऐसे हैं, जहां पीएफआई अपनी गतिविधियां चला रहा है। यह संगठन खुद को न्याय, स्वतंत्रता और सुरक्षा का पैरोकार बताता है। मुस्लिमों के अलावा देश भर के दलितों, आदिवासियों पर होने वाले अत्याचार के लिए आंदोलन करता है। शाहीन बाग मामले में भी पीएफआई पर आरोप हैं कि वह पैसे देकर आंदोलन को भड़काने का काम कर रहा है। शाहीन बाग इलाके में उसका मुख्‍यालय है। दिल्ली दंगे के बाद बेंगलुरु में हुए दंगे में भी पीएफआई का नाम सुर्खियों में आया था।

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