जम्मू। सुरक्षाबलों ने 2022 के पहले 5 माह में 50 एनकाउंटरों में 88 आतंकियों को ढेर कर दिया है। इनमें 30 विदेशी आतंकी थे। जबकि जम्मू कश्मीर में धारा 370 को खत्म करने के बाद, बड़े पैमाने पर आतंकियों के सफाए का अभियान सुरक्षा बलों ने चलाया है। आधिकारिक रिकार्ड के मुताबिक, 5 अगस्त 2019 में धारा 370 हटाए जाने के बाद से आज तक 550 आतंकी मारे गए हैं।
नतीजतन इतने बड़े पैमाने पर आतंकियों के खात्मे के बाद, आतंकियों ने अपनी रणनीति बनाई है। जिसमे वह हाइब्रिड आतंकी पर दांव लगा रहे हैं। आतंकी ऐसे लोगों को आतंकी घटनाओं के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं, जो आम तौर पर स्थानीय युवा हैं। वह पिस्टल से हमला कर, गायब हो जाते हैं और सामान्य जीवन जीने लगते हैं। ऐसे लोग आसानी से लोगों के बीच घुल-मिल जाते हैं। इनका कोई पुराना आपराधिक रिकार्ड नहीं रहता है। ऐसे में उनकी पहचान मुश्किल है। इस तरीके के आतंकियों को हाइब्रिड आतंकी कहा जा रहा है।
जम्मू कश्मीर पुलिस के आईजी विजय कुमार ने बताया है कि कश्मीर घाटी में पिछले 3 दिनों में 10 आतंकी मारे गए हैं जिनमें जैशे मुहम्मद के 3 और लश्करे तौयबा के 7 आतंकी शामिल हैं। वहीं आधिकाकि रिकार्ड कहता है कि 27 मई तक इस साल जनवरी से अब तक 88 आतंकियों को मार गिराया गया है। यानी 27 मई तक 88 से ज्यादा आतंकियों को सुरक्षा बलों ने मार गिराया है। वही 17 मई तक 15 आम नागरिक और 15 सुरक्षा बलों की मौत हो गई है।
ऐसे में आतंकी अब सुरक्षाबलों पर हमले करने की खातिर आतंकवादी टारगेट किलिंग के साथ-साथ स्टिकी बम को भी अपना नया हथियार बना रहे हैं। हाल ही में जम्मू कश्मीर के कटरा में तीर्थ यात्रियों को ले जा रही बस पर आतंकी हमले का दावा किया गया है। इस दावे के बाद जांच एजेंसियों को शक है कि इस हमले में स्टिकी बम का इस्तेमाल किया गया था।
असल में पिछले एक साल में सुरक्षाबलों को छापे में कई जगहों पर स्टिकी बम मिले हैं। जिन्हें आतंकी हमले के लिए इस्तेमाल किया जाना था। सुरक्षा बलों को 30 जून से शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा के लिए भी सतर्क किया जा रहा है। असल में स्टिकी बम का इस्तेमाल अफगानिस्तान में तालिबानियों ने नाटो सेना के खिलाफ बड़ी संख्या में इस्तेमाल किया था। अब ऐसी आशंका है पाकिस्तान स्टिकी बम का इस्तेमाल भारत में आतंकियों के जरिए इस्तेमाल कराने में मदद कर रहा है।
अधिकारियों के मुताबिक, मई के महीने में पहले कश्मीरी पंडित राहुल भट्ट और फिर अभिनेत्री अमरीन भट्ट की हत्या से साफ है कि आतंकी कश्मीरी पंडित और नामचीन लोगों को निशाना बना रहे हैं। यह पैटर्न पिछले साल अक्तूबर में श्रीनगर में फार्मासिस्ट माखनलाल बिंद्रू की आतंकियों ने उनके मेडिकल स्टोर में घुसकर हत्या करने के साथ शुरू किया था। उसके बाद से कश्मीरी पंडितों और गैर मुस्लिमों को आतंकियों ने ज्यादातर निशाना बनाया है। पिछले साल अक्टूबर से लेकर 17 मई तक आतंकियों ने 32 आम नागरिकों की हत्या की है।
पहले 13 मई को कश्मीरी पंडित और सरकारी कर्मचारी राहुल भट्ट की हत्या और फिर कश्मीरी अभिनेत्री अमरीन भट्ट की हत्या से साफ है कि आतंकी प्रदेश के माहौल को खराब करने के लिए अब टारेगट किलिंग का सहारा ले रहे हैं। जिससे स्थानीय लोगों में ज्यादा से ज्यादा दहशत फैले।
टारगेट किंलिंग की इस हैवानियत का खेल पाकिस्तानी आतंकी के साथ-साथ, घरेलू स्तर पर तैयार हो रहे हाइब्रिड आतंकी कर रहे हैं। इसी का असर है कि इस साल जनवरी से अब तक 16 आम नागरिकों की मौत हो गई है। और सेना की कार्रवाई में 88 से ज्यादा आतंकी मारे जा चुके हैं।