भारत में प्राचीनकल से ही नाग पूजा का प्रचलन रहा है। श्रावण मास की नागपंचमी के दिन नाग पूजा और आराधना की जाती है। नाग से संबंधित कई बातें आज भारतीय संस्कृति, धर्म और परम्परा का हिस्सा बन गई हैं, जैसे नाग देवता, नागलोक, नागराजा-नागरानी, नाग मंदिर, नागवंश, नाग कथा, नाग पूजा, नागोत्सव, नाग नृत्य-नाटय, नाग मंत्र, नाग व्रत और अब नाग कॉमिक्स। आओ जानते हैं 5 प्रमुख नाग माताओं के बारे में।
1. माता कद्रू या कद्रु : पुराणों अनुसार कश्यप ऋषि की पत्नी कद्रू से ही नागों का जन्म हुआ है। जिनमें प्रमुख आठ नाग थे- अनंत (शेष), वासुकी, तक्षक, कर्कोटक, पद्म, महापद्म, शंख और कुलिक। कद्रु और विनता के पुत्रों को लेकर पुराणों में कथाएं प्रचलित हैं। विनता के पुत्र गरुढ़ और वरुण थे।
2. ऋषि कश्यप की पुत्री मनसा : कई पुरातन धार्मिक ग्रंथों में इनका जन्म ऋषि कश्यप के मस्तक से हुआ हैं इसीलिए मनसा कहा जाता है। शिव की पुत्री होने का जिक्र स्पष्ट नहीं है इसलिए यह मान्य नहीं है। हां शिव से उन्होंने शिक्षा दीक्षा अवश्य ग्रहण की है। इस संबंध में अन्य जो कथाएं हैं वह दोषपूर्ण हैं। अधिकतर जगहों पर मनसा देवी के पति का नाम ऋषि जरत्कारु बताया गया है और उनके पुत्र का नाम आस्तिक (आस्तीक) है जिसने अपनी माता की कृपा से सर्पों को जनमेयज के यज्ञ से बचाया था। इसीलिए उन्हें भी नाग माता की तरह पूजा जाता है। उन्हें वासुकी नाग मी बहन भी माना जाता है। मनसा देवी की पूजा बंगाल में गंगा दशहरा के दिन होती है जबकि कहीं-कहीं कृष्णपक्ष पंचमी को भी देवी की पूजी जाती हैं। मान्यता अनुसार पंचमी के दिन घर के आंगन में नागफनी की शाखा पर मनसा देवी की पूजा करने से विष का भय नहीं रह जाता। मनसा देवी की पूजा के बाद ही नाग पूजा होती है।
3. रोहिणी : वसुदेव की दूसरी पत्नी रोहिणी बलराम, एकांगा और सुभद्रा की माता थीं। उन्होंने देवकी के सातवें गर्भ को ग्रहण कर लिया था और उसी से बलराम की उत्पत्ति हुई थी। ये यशोदा माता के यहां रहती थीं। ऐसी मान्यता है कि भगवान् श्री कृष्ण की परदादी 'मारिषा' व सौतेली मां रोहिणी 'नाग' जनजाति की थीं। माता रोहिणी ही शेषनाग के अवतार बलराम की माता थी।
4. रेवती : बलराम की पत्नी रेवती देवी नागमणि के अंश से ही उत्पन्न हुई है इसलिए वह भी एक प्रकार से नाग कन्या मानी गई है। इनके पिता का नाम ककुदनी था।
5. सर्पो की माता सुरसा : गोस्वामी तुलसीदास की श्रीरामचरितमानस के अनुसार जब हनुमानजी समुद्र पार कर रहे थे, तब देवताओं ने उनकी शक्ति की परख करने की इच्छा से नागमाता 'सुरसा' को भेजा था। बल-बुद्धि का परिचय देकर हनुमानजी उनके मुख में प्रवेश कर कान की ओर से बाहर आ गए थे। सुरसा को कश्यप ऋषि की पत्नी भी माना गया है जिनके यातुधान नामक पुत्र थे। एक क्रोधवशा नामक पत्नी भी थीं जो सर्पों की माता थीं।