- अथर्व पंवार
"वन्दे मातरम्" एक ऐसा जयघोष जो हर व्यक्ति को अपनी मातृभूमि हिंदुस्तान के प्रति एक समर्पित आदरभाव देने का विचार है। स्वतंत्रता संग्राम में हजारों वीरों और वीरांगनाओं ने इसका आव्हान करते हुए अपना बलिदान दिया। न जाने कितने ही इसे बोलते हुए फांसी पर झूल गए और कितनों ने ही सीने पर गोलियां खाई। इसे सर्वप्रथम बंकिम चंद्र चटोपाध्याय ने अपने उपन्यास 'आनंदमठ' में लिखा था जो बंगाल के अकाल और सन्यासी विद्रोह के बारे में लिखा गया था। 1857 के स्वातंत्र्य संग्राम में सभी के अवचेतन में यह था। तब लोगों ने न अपनी जाति देखी, न अपना धर्म देखा, न अपना रंग देखा और न ही अपनी सम्पन्नता देखी। बस देखा गया तो एक स्वप्न, भारत माता को बेड़ियों से मुक्त कराने का और इस स्वप्न को वास्तविकता में बदलने का उत्प्रेरक बना- "वन्दे मातरम्"।
समय के साथ राजनितिक स्वार्थों के लिए इसका गलत उपयोग किया गया। इससे भावनाएं भड़काई गयी। जिससे संबंधों में एक बड़ी दरार बढ़ती गयी। वर्तमान में एक समुदाय के मन में ऐसी भावना भड़का दी गयी है कि माना जाने लगा कि इसे गाना या बोलना उनके धर्म के खिलाफ है। पर उन्हें यह नहीं बताया जाता कि अजीमुल्ला खान ने नानासाहेब पेशवा और रानी लक्ष्मीबाई के साथ मिलकर जो युद्ध लड़ा, उनके जयघोषों में भी वन्दे मातरम शामिल था। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का भी मानना है कि वन्दे मातरम् में ऐसा कुछ भी नहीं है जो उनके धर्म के खिलाफ हो। अगर किसी को वन्दे मातरम का उर्दू में अर्थ पता होगा तो वह उसे अवश्य बोलना पसंद करेगा।
सम्पूर्ण वन्दे मातरम् का अर्थ उर्दू में-
सलाम, ऐ मादरेवतन सलाम,
तो पुर अबे हयात, पुरसमर, तरोताज, संदली
हवावाली, फसले अख़ज़र,
खुशगवार, पुरनूरशवे माह, पुरबहार सरसब्ज,
खंदहजन, शीरी गुत्फार ,
पुरसुकून, नेमतबख्श मां तुझे सलाम।
ओ मां, तेरे करोड़ों बेटे बुलंदी से आवाज़ देते हैं,
उनके करोड़ों हाथों में
शमशीरे आबदार है, तब कौन कहता है कि तू लाचार है? आ पुरताकत
नाखुदा, ओ दुश्मनों को नेस्तोनाबूद
करने वाली मां तुझे सलाम।
ओ मां तू ही इल्म है, तू ही मजहब है,
तू ही दिल है, तू ही बदन में रूह है,
तू ही गैवदां है,
बाजुओं में तू कुव्वत है,
दिल में तू परस्तारी है,
हर सनम खाने में तेरे ही बुत पैवस्त है,
तू ही दस हाथों में हिफाज़त करने वाली दुर्गा है,
तू ही गुलेकमल पर बैठी दौलत की देवी कमला है,
तू ही इल्मों महारत की देवी बानी है,
तुझे हम सलाम पेश करते हैं।
सलाम ओ बेऐब, बेमिसाल दौलत की देवी तुझे सलाम,
पुरआव पुरसमर ऐ मादरेवतन सलाम।
सरसब्ज़ मुस्तकीम, खंदलब मुरूस्सानीगार ज़ीनते बज़्म
ओ सरज़मीं परवरिषगाह, ऐ मादरे वतन सलाम।
वन्देमातरम का संदर्भ- पुस्तक 'क्रांतिकारी और उनके अमर पत्र'