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6 अनोखे और दिलचस्प संग्रहालय : प्राचीन दस्तावेजों और वस्तुओं का खजाना

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डॉ. छाया मंगल मिश्र

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भारत  चिंतन प्रधान देश रहा है।इसलिए प्राचीन काल में भौतिक वस्तुओं के संग्रह या संरक्षण पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया। जब किसी के पास धन संपत्ति अधिक हो जाती है तो उसे मंदिरों में अर्पण कर दिया जाता है। और मंदिर उसका उपयोग या तो निर्माण में या संग्रहण में करते हैं।

यही कारण  है कि विश्व के  सबसे भव्य और चकित कर देने वाली कलाकारी से युक्त मंदिर पूरे भारत में है विशेष कर  दक्षिण भारत में। कुछ ही वर्ष पूर्व खोले गए पद्मनाभ स्वामी के मंदिर के तलघर एक प्रकार के संग्रहालय ही तो थे। राजाओं के महलों में पूर्वजों की स्मृतियां या प्रतिमाएं संग्रहित कर के रखी जातीं थी।

विशेष कर महाराष्ट्र और राजस्थान के राज घराने में अनेक प्राचीन संग्रहालय हैं। वाराणसी बंगाल, तमिलनाडु, कर्नाटक,केरल में प्राचीन पुस्तकों के अनेक संग्रहालय हैं। यह संग्रहालयों के प्रति भारत की समृद्ध परंपरा का प्रमाण है।
 
आज भी भारत में ऐसे अनेक संग्रहालय हैं जिनका दौरा किये बिना भारत की सांस्कृतिक इतिहास या संस्कृति की जानकारी अधूरी ही रहती है।सरकारों द्वारा इन संग्रहालयों का निर्माण और संचालन किया जा रहा है।
 
हमारे भारत की प्राचीन संस्कृति, मान्यताओं या इतिहास के बारे में जानना चाहते हैं तो  संग्रहालय में ही इनका जवाब हैं। भारत के दौरे को कभी भी संग्रहालयों के बिना पूरा नहीं किया जा सकता है -यही  प्राचीन दस्तावेजों और वस्तुओं का खजाना घर हैं। 
पतंग संग्रहालय, अहमदाबाद: 
 
यह भारत के प्रमुख पर्यटक आकर्षणों में से एक है, जिसमें एक ही स्थान पर दुर्लभ प्रकार की पतंगों का संग्रह है। पालड़ी पतंग संग्रहालय पतंगों के बारे में आकर्षक तथ्य प्रदर्शित करता है, क्योंकि गुजरात उत्तरायण या मकर संक्रांति के दौरान अंतर्राष्ट्रीय पतंग महोत्सव के लिए जाना जाता है।
राष्ट्रीय रेल संग्रहालय, नई दिल्ली:
 
 देश की राजधानी में स्थापित यह शानदार संग्रहालय हर रेल प्रेमी के लिए स्वर्ग जैसा है, पुराने रेलवे के डिब्बे। भाप के पुराने इंजन उपकरण, अन्य चीजें बड़े जतन से  से सम्हाल कर रखी गईं हैं। यदि ट्रेने हमारी कल्पनाओं में बसतीं हैं  तब यह  10 एकड़ जमीन पर फैले इस संग्रहालय, जिस में विभिन्न टॉय ट्रेन, गाड़ियों का शानदार संग्रह, एंटीक स्टीम लोकोमोटिव और अन्य रेलवे मास्टरपीस हैं वास्तव में चकित करतीं हैं।
राष्ट्रीय उड्डयन संग्रहालय, वास्को डी गामा:  
 
1998 में इसका उद्घाटन किया गया, यह भारतीय नौसेना एयर आर्म के विकास को प्रदर्शित करने वाले दो सैन्य संग्रहालयों में से एक है,जिसमें भारतीय जलसेना के विकास की कहानी बताई गई है। इसमें जलसेना के विमानों के इंजन और मॉडल रखे गए हैं। दूसरा संग्रहालय  दिल्ली में भारतीय वायु सेना संग्रहालय है।
बेवाच वैक्स म्यूजियम, कन्याकुमारी:  
 
भारत की मुख्य भूमि के सबसे दक्षिणी छोर पर स्थित कन्याकुमारी के समुद्रतट के मनोरंजन पार्क में यह संग्रहालय बना हुआ है,जो देश का  पहला मोम  संग्रहालय है। मेडम तुसाद की तर्ज पर बने हुए इस संग्रहालय में प्रसिद्ध व्यक्तियों व सितारों के मोम के पुतले बना कर रखे गए हैं। बेवाच शहर के समुद्र तटीय मनोरंजन पार्क में स्थित, यह एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण है।
मायोंग ब्लैक मैजिक एंड विचक्राफ्ट संग्रहालय, गुवाहाटी: 
 
इस संग्रहालय में विभिन्न पौराणिक महाकाव्य और काले जादू और आयुर्वेद की कुछ प्राचीन पांडुलिपि हैं। मायोंग पहाड़ी शहर को भारत की काली जादू की राजधानी के रूप में जाना जाता है।
फॉसिल पार्क संग्रहालय, सिरमौर:
 
इसे  शिवालिक फॉसिल पार्क के रूप में भी जाना जाता है, यह शिवालिक स्तनधारियों के संरक्षण और शिवालिक जीवाश्मों के साथ एक अद्वितीय स्थान है। भारत में मंडला प्लांट फॉसिल्स नेशनल पार्क और धार में डायनासोर फॉसिल पार्क के साथ-साथ अन्य जीवाश्म पार्क भी हैं।
संग्रहालय जन सहयोग व शासकीय संरक्षण से चलते हैं हमारा दायित्व है कि हम इनमें रखी वस्तुओं का नियमानुसार अवलोकन करें और ज्ञान की यह विरासत अगली पीढ़ी को भी जरुर दिखाएं। यह तो कुछ ही संग्रहालय हैं, इनके आलावा भी कई संग्रहालय भारतभूमि की गौरवगाथा और इतिहास अपने आप में समेटे हुए देश की पुरातन संस्कृति और इतिहास की ध्वजा फहरा रहे हैं।
 

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